मेरठ, 11 सितंबर (प्र) श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस में प्रातः 6-30 बजे मंदिर जी मैं अभिषेक एवं शांति धारा हुई जिसमें मुख्य शांतिधारा स्वर्ण झारी से करने का सौभाग्य रमेश जैन विपुल जैन गौरव जैन परिवार को प्राप्त हुआ एवं रजत झारी से शांति धारा करने का सौभाग्य विनोद जैन कपिल जैन संजय जैन परिवार को मिला उसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने पूजा एवं 10 लक्षण विधान किया जिसमें सभी भक्तजन ने अर्घ मंडले पर समर्पित किय।
उत्तम शौच पर कपिल जैन जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता। आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है। बाहर की पवित्रता का ध्यान तो हर कोई रखता है लेकिन यहां आंतरिक पवित्रता की बात है। आंतरिक पवित्रता तभी घटित होती है जब मनुष्य लोभ से मुक्त होता है। उधर दिगंबर जैन मंदिर कचहरी रोड पर सोनिया जैन जी ने बताया कि शौच धर्म कहता है कि आवश्यक्ता, आकांक्षा, आसक्ति और अतृप्ति के बीच को समझकर चलना होगा क्योंकि जो अपनी आवश्यक्ताओं को सामने रखकर चलता है वह कभी दुखी नहीं होता और जिसके मन में आकांक्षाएं हावी हो जाती हैं वह कभी सुखी नहीं होता। हावी होती हुई आकांक्षाएं आसक्ति(संग्रह के भाव) की ओर ले जाती है और आसक्ति पर अंकुश न लगाने पर अतृप्ति जन्म लेती है, अंततः प्यास, पीड़ा आतुरता और परेशानी बढ़ती है ।
उत्तम शौच को आचरण में कैसे लाए: धर्म पथ पर चलते हुए मन में, विचारों में और आचरण में शुद्वता लानी होगी। कषाय को, लोभ को और मलिनता को कम करना होगा। धनाकांक्षा,भोगाकांक्षा, दुराकांक्षा और महत्वाकांक्षा इनकी तीव्रता से अपने आप को बचाकर ही उत्तम शौच धर्म को अपने आचरण में लाया जा सकता है। दिगंबर जैन मंदिर कचहरी रोड मेंसविता जैन पाल की जैन सौम्या जैन द्वारा एक धार्मिक तंबोला का आयोजन किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने पुरस्कार जीते इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम मैं धार्मिक नाटक आभा जी द्वारा कराई गई जिसमें आदिनाथ भगवान का वैराग्य दर्शाया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रस्तुत नाटक पर खूब तालियां बजाई
मंदिर परिसर में मनोज राज पीयूष अमित प्रतीक रचित सार्थक शुभम नमन नीलिमा शोभा शालिनी अनन्या मुस्कान आदि उपस्थित रहे।