अतुल प्रधान के प्रयासों की हो रही प्रशंसा
शिक्षा और स्वास्थ के नाम पर हो रही लूट खसौट के विरोध में बीती 10 अक्टूबर को धरने पर बैठे सपा विधायक अतुल प्रधान का अनशन आज पांचवे दिन भी जारी रहा। धरना यही चलेगा या कहीं और यह अलग बात है लेकिन जिस प्रकार से इस आयोजन को जागरूक नागरिकों और हर क्षेत्र में सक्रिय संगठन के पदाधिकारियों का समर्थन मिल रहा है। उसे इस बात का प्रतीक कह सकते है कि जिस बिन्दु को लेकर सरधना विधायक बैठे है उससे बाकई आम जनता परेशान है। इसलिए शहर भर में जहां भी दस लोग खड़ा होते है अतुल प्रधान के धरने और उसके प्रयासों की सराहना करते ज्यादातर करते नजर आते है।
अनशन है सराहनीय
आज से लगभग तीन दशक पूर्व सीडीओ ऑफिस के मैदान में गांधीवादी नेता कहलाये बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत द्वारा किसान मजदूर आदि की कुछ समस्याओं को लेकर जो अनशन किया गया था उसमें जो अनुशासन मौजूद हजारों कार्यकर्ताओं ने दिखाया था वैसा ही कुछ पूर्व छात्र नेता और जन समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करते चले आ रहे विधायक अतुल प्रधान की धरने में नजर आता है। भारी भीड़ मौजूद है लेकिन कहीं से भी उसके द्वारा अनुशासन भंग किये जाने या नागरिकों की परेशानी का कारण बनने की खबर अभी तक पढ़ने को नहीं मिली।
त्यौहार एवं खेल
धरने की मुख्य बात हो नागरिकों को आर्कषित कर रही है वो यह है कि अनशन स्थल पर दशहरे का त्योहार मनाने की व्यवस्था भी अतुल प्रधान ने की। और युवा व बुजुर्ग और महिलाओं का स्वास्थ सही रहे इसके लिए वहीं पर 400/800 और 1600 मीटर की दौड़ भी कराई जा रही है उसमें नगद राशि और ईनाम भी देकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले दिनों दौड़ में विजेता बालिका को अतुल प्रधान व सपा नेता पूर्व पार्षद संगीत राहुल ने साईकिल प्रदान की।
सरकार भी तो यहीं चाहती है
अगर ध्यान से देखे तो धरना भले ही सपा विधायक अतुल प्रधान कर रहे हो लेकिन सही मायनों में तो सरकार के जो अभियान है जनमानस को सस्ती चिकित्सा सुविधा व सस्ती शिक्षा तथा आसानी से न्याय दिलाने की योजनाऐं जो अभियान के संदर्भ में चल रही है और जो योजनाऐं सत्ता पक्ष के लोगों को चलानी चाहिए वो सपा विधायक चला रहे है। शायद इसलिए धरने के प्रति शहरी ग्रामीण महिला पुरूष तथा नौजवानों का अतुल प्रधान को मिल रहा है हर तरह का समर्थन।
सही मांगों को लेकर जनहित में है धरना
बताते है कि छठे दिन 15 अक्टूबर के धरने में लगभग ढाई सौ गांव के ग्रामीण लोग पहुंचेगें जो इस बात का प्रतीक है कि यह धरना सही मांगों को लेकर जन हित में है। इसलिए सरकार को प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से अतुल प्रधान की मांगों का समाधान कराने में अब देर नहीं करनी चाहिए।
लाउड स्पीकर की आवाज से है परेशानी
जहां तक बात कर्नल सीके नायडू क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन की है तो मानवीय दृष्टिकोण से उन्हें भी यह सोचना चाहिए कि अगर आम आदमी स्वस्थ व शिक्षित नहीं होगा तो इन खेलों के प्रति आम आदमी का रूझान कैसे बढ़ेगा। कुछ बड़े घरानों के दर्शक और आयोजकों के प्रयासमात्र से खेलों को बढ़ावा मिलने वाला नहीं है फिर खेल का मैदान तो बिलकुल अलग है। उन्हें धरना स्थल पर लगे लाउड स्पीकर से परेशानी हो रही है। जो जनहित में नहीं कही जा सकती।
लोग डीजे के शोर में जीने को मजबूर है, जनता की परेशानी का क्या
सरकार और न्यायालय ने डीजे पर कुछ प्रतिबंध लगाये हुए है लेकिन वो खूब जोर शोर से बज रहे है ऐसी ही कई समस्याऐं है जिन्हें लेकर आम आदमी परेशानी के बावजूद कुछ नहीं कर पा रहा है। तो मात्र लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर परेशानी क्यों। इस संदर्भ में कुछ लोगों का कहना है कि खेल मैदान में स्कोर घोषित करने के लिए जो माईक लगाये जाते है उससे आम आदमी पीड़ित भी होता है और शिकायत भी करता है लेकिन सुनता कोई भी नहीं। कुल मिलाकर नागरिकों की मांग और धरने को मिल रहे समर्थन से मैं भी सहमत हूं।
कुछ शिक्षक व चिकित्सक माफियाओं के विरूद्ध हो कार्रवाई
जिस प्रकार से कुछ शिक्षा माफिया विभिन्न विभिन्न नामों से फीस दाखिले के दौरान फीस किताबे और ड्रेस एक ही स्थान से महंगी खरीदने के लिए मजबूर करते है और कई बार ऐसा पढ़ने और सुनने को मिलता है कि गरीब आदमी का इतना बिल बना दिया जो वो दे नहीं सकता। और कभी कभी तो ऐसा भी सुना जाता है कि जो इंजेक्शन नहीं लगते डाक्टर देखने नहीं आते बिल में उनके पैसे भी जोड़ दिये जाते है। रोजगार से परेशान आम आदमी के समक्ष सुरसा के मुंह की भांति उत्पन्न आर्थिक तंगी के दौर में अतुल प्रधान और लोगों के द्वारा कहे गये शब्द ये लूटखसौट बंद होनी चाहिए। यही बात सरकार भी चाहती है तो फिर अतुल प्रधान के धरने से परेशानी क्यों? मांगों का हो समाधान।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई वरिष्ठ नागरिक)
सरधना विधायक का पांचवे दिन भी जारी रहा धरना, त्यौहार और खेलों के हो रहे है आयोजन, अतुल प्रधान की मांग है उचित शायद इसलिए मिल रहा है जनता का समर्थन, सरकार भी तो यही चाहती है कि आम आदमी को मिले सस्ती चिकित्सा व शिक्षा
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