Sunday, July 6

सोशल मीडिया ने घर घर तक पहुंचाया कुंभ, सरकार की प्रचार नीति से एक हजार गुना तक पहुंच रही है इस महाआयोजन की झलकियां

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ग्रामीण कहावत खाने को ना मिले तो अंगूर खट्टे हैं तथा कौओं के कोसे से ढोर नहीं मरते आजकल सोशल मीडिया की आलोचना पर पूरी तौर खरी उतर रही है। जो मेरा जैसा व्यक्ति इसे चलाना नहीं जानता उसके लिए तो अंगूर खटटे हैं बाकी जो लोग इसे कोस रहे है। उसके बावजूद इसका प्रचलन मान्यता बढ़ती जा रही है। चर्चा है कि कुछ लोग मंचों पर खड़े होकर सोशल मीडिया को नुकसानदायक बताते हैं उनके बच्चें और वह भी इसके लाभ खूब उठा रहे है। नई जानकारियां व्यापार में लाभ प्रगति व समाज के हर क्षेत्र और नई गतिविधियों की मिनटों में जानकारी देने में सक्षम सोशल मीडिया इस समय 90 प्रतिशत लोगों की मनपसंद व्यवस्थाओं में शामिल हो रहा है।
कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो लोगों को घर पर खाना, बीमारों को दवाई दिलाने में इसका योगदान बहुत रहा था। जिसकी प्रशंसा जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने भी की थी। आज चाहे व्यापार में तरक्की का माध्यम हो या प्रचार के लिए योजना। कम पैसों में ज्यादा काम यह सब सोशल मीडिया से आसानी से हो रहा है।
बीते दिनों पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रयागराज महाकुंभ का करार दिया। जो सोशल मीडिया पर नंबर वन बना हैशटैग एकता का महाकुंभ। दूसरी तरफ अपना देश हो या दुनिया हर जगह सोशल मीडिया ने कुंभ का जीता जागता चित्रण और झलकियां उन तक भी पहुंचाई जा रही हैं तो कुंभ में नहीं आ पा रहे हैं लेकिन कुंभ दर्शन और वहां की गतिविधियों की जानकाारियां खूब रखना चाहते हैं। आम आदमी की इस इच्छा को सोशल मीडिया के माध्यम से हर वर्ग का व्यक्ति पूरी दुनिया में पहुंचाने का काम कर रहा है। बीती 12 जनवरी को नेशनल यूथ डे के मौके पर बड़ी तादात में युवाओं की टोलियां महाकंुभ पहुंची और उन्होंने महाकुंभ की झलकियों के साथ साथ नागरिकों को सेल्फी पाइंट भी दिखाए। कहने का मतलब है कि डिजिटल युग में महाकुंभ का जिस प्रकार से क्रेज बढ़ रहा है उसमें सोशल मीडिया का योगदान हर कोई मान रहा है। सनातन धर्म सहित सभी धर्मों के प्रसार प्रचार के साथ साथ युवा घरों पर बैठे अपनों को भावनात्मक रूप से स्नान करा रहे हैं। कुछ कुंभ में धर्मलाभ कमा रहे हैं तो बड़ी आबादी डिजिटल दर्शन कर पुण्य लाभ कमा रहे हैं। फेसबुक यूटयूब पर जो दृश्य दिखाई जा रहे हैं उनसे लोग भी कुंभ मेले में होने का आनंद उठा रहे हैं। क्योंकि स्नान के साथ साथ मेला क्षेत्र में होने वाले आयोजन आने वाले विदेशियों, कलाकारों की प्रस्तुति के डिजिटल दर्शन सोशल मीडिया के माध्यम से हर व्यक्ति कर रहा है। गूगल पर हर जानकारी के चलते कब क्या होने वाला है और कुंभ में क्या होगा किस तारीख को मुख्य स्नान होंगे अभी तक कितने श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई की जानकारी कराने में सक्षम सिद्ध हो रहा है सोशल मीडिया। मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई का यह कथन पूरी तौर पर सही है कि जनभावनाओं की संतुष्टि धार्मिक आनंद और गंगा स्नान की कल्पना घर बैठे सोशल मीडिया पर नागरिक कर रहे हैं और महाकुंभ की धूम और हर गतिविधि का ज्ञान इससे प्राप्त हो रहा है और बुजुर्ग व कुंभ ना जाने वाले लोग घर बैठे कंुभ का आनंद ले रहे हैं। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि सोशल मीडिया ने इस महाकुंभ को घर घर तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त की है और यह कहने में हर्ज महसूस नहीं होता कि केंद्र व प्रदेश सरकारंे जो करोड़ों रूपया कुछ चौनल और समाचार पत्रों को देकर प्रचार करा रही है उससे हजार गुना ज्यादा प्रचार सोशल मीडिया पर महाकुंभ का हो रहा है। कुंभ की लोकप्रियता में इस मंच के योगदान को देखते हुए सरकार को चाहिए कि जो सही वेबसाइट चल रही है उन्हें प्रोत्साहन देने की नीति लागू करने में देर ना करे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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