केंद्र और प्रदेश सरकार आम आदमी को बढ़ती बीमारियों के असर से बचाने और भविष्य में इनके प्रकोप से कम से कम लोग प्रभावित हो इसके लिए पूरा प्रयास कर रही लगती हैं। इतना ही नहीं बीमारियां बढ़ने का कारण कुछ भी हो लेकिन इसकी रोकथाम के लिए लगे वैज्ञानिकों को बढ़ावा देने के साथ ही नई दवाईयों का मार्ग प्रशस्त कर इलाज को सरल बनाने की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन जहां तक नजर आता है। सरकार की मंशा के तहत बीमारियों के कारण मिलावटी खाद्य सामग्री का उपयोग रोकने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं कर रहे हैं। वैसे तो किसमें मिलावट हैं किसमें नहीं यह तय करना मुश्किल होता है लेकिन आम आदमी को नुकसान पहुंचाने के लिए जले हुए तेल का उपयोग रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाया है लेकिन जितना नजर आता है शहर हो या गांव चाट पकौड़ी वाले हो या बड़े हलवाई ज्यादातर जले तेल का उपयेाग करने में पीछे नहीं है। इसकी जानकारी अधिकारियों को ना हो ऐसा भी नहीं है क्योंकि सड़कों पर छोले भटूरों समोसे की दुकानों पर कढ़ाई का तेल ना तो रोज खत्म होता है ना कर्मचारी होने देते हैं क्योंकि खत्म होने पर तुरंत ही दूसरा तेल पलट दिया जाता है जिससे जले हुए तेल में तली खाद्य सामग्री बेरोकटोक परोसी जा रही है और इस बारे में सीएम ध्यान दें। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं यह तो वही जाने। सैंपल भरने की खबरंे तो मिल जाती हैं लेकिन नियमानुसार जले हुए तेल का उपयोग करने वालों पर कार्रवाई का पता नहीं चल पाता है। केंद्र और प्रदेश के खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सेहत के लिए हानिकारक इस जले हुए तेल का प्रचलन रोकने लिए कार्रवाई की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि प्रदेश सरकार को हर डीएम को निर्देश देकर अभियान चलाया जाना चाहिए जनहित में।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी ध्यान दें! खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही, जले हुए तेल में बने परोसे जा रहे हैं खाद्य पदार्थ
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