Saturday, July 12

डीएम की अध्यक्षता में लगे मेला! आखिर किसकी नजर लग रही है नौचंदी को, अभी तो शुरू भी नहीं हुआ विवाद और घपलों में घिरने लगा है यह ऐतिहासिक पर्व, 10 लाख के बिलों की हो गहन जांच

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मेरठ 26 मार्च (प्र)। उत्तरी भारत का प्रसिद्ध मेला जब प्रांतीय बना तो यह उम्मीद जगी थी कि यह हर तरीके से दर्शकों के लिए आदर्श और अनुकरणीय होगा। लेकिन अभी तक पिछले वर्षों में जो अव्यवस्था हुई उसका कोई अच्छा प्रभाव किसी भी रूप में दर्शकों और स्थानीय नागरिकों पर नजर नहीं आया। इस बार यह उम्मीद की गई है कि जिलाधिकारी डा0 वीके सिंह के निर्देश में यह मेला अच्छा भव्य और परंपरागत रूप से लगेगा क्योंकि वो पूर्व में यहां कई पदों पर रह चुके है और उन्हें महानगर और जनपद की भोगोलिक जानकारी और स्थानीय सक्रिय नागरिकों से संबंध भी है। लेकिन इसे क्या कहे कि मेला नगर निगम के हाथों में पहुंच गया और उद्घाटन में ही जो विवाद हुए उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। दोष किसी का सजा किसी को कहावत चितार्थ हुई सीडीओ नोडल अधिकारी के पद से हटा दी गई। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार नोडल अधिकारी बना दिये गये। अगर ऐसा ना होता तो भी जिम्मेदारी उन्हीं की थी और सब कुछ उन्हीं के मार्गदर्शन में होना था। अभी स्थानीय नागरिक और पाठक उद्घाटन की अव्यवस्था और जनप्रतिनिधियों के हुए अपमान की सुर्खियों को भुला भी नहीं पाए कि आज एक खबर पढ़ने को मिली कि शुभारंभ के दिन खाना तो छोड़िए चाय पानी भी नहीं मिला सबको और बिल बन गया 10 लाख का। मुख्य वित्त नियंत्रक लेखा अधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि उद्घाटन से संबंधित लाखों के बिल तो आये है सत्यापन के बाद ही धनराशि के लिए संतुति दी जाएगी।
महापौर अहलूवालिया जी कह रहे है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं बुलाया गया। मैंने वहां चाय तक नहीं पी। निगम ने उद्घाटन का लाखों का बिल बनाया है उसका पहले सत्यापन कराया जाएगा। इन खबरों को पढ़कर आम आदमी का मानना है इन खर्च के बिलों की जांच किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से कराई जाए कि खर्च कहां हुआ और किन किन परिस्थिति में हुआ। और अगर जरा सी भी त्रुटी हो तो भुगतान न किया जाए और जिन लोगों ने बिल बनाये है उनके खिलाफ हो कार्रवाई तथा मेले के दौरान उन्हें कोई जिम्मेदारी न दी जाए।
भाजपा पार्षद दीपक वर्मा का कहना है कि खर्च अधिकारियों से लिया जाए क्योंकि वो ही उद्घाटन में मौजूद थे। तो भाजपा पार्षद संजय सैनी का कहना था कि उद्घाटन करने वालों को चाय पानी नहीं मिला महापौर का अपमान हुआ नाजारत विभाग द्वारा बनाये जा रहे है फर्जी बिल। भुगतान का विरोध करेंगे निगम को हानि नहीं होने देंगे।
दूसरी तरफ सपा पार्षद नाजरीन शाहिद का कहना है कि महापौर बोर्ड के अध्यक्ष है तथा मेरठ के प्रमुख नागरिक कार्यकारिणी बैठक में उनके उद्घाटन में हुए अपमान का विरोध किया जाएगा और फर्जी बिलों की जांच तथा ऑडिट होना चाहिए पूरे मेले का।
बताते चले कि पिछले वर्ष भी मेले के आयोजन को लेकर कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा कई प्रकार के सवाल उठाये गये थे और इस बार तो यह शुरूआत होने से पहले ही लाखों के घपले की सुगबुहाट शुरू हो गई है आखिर कौन रोकेगा इसे। इस बारे में कुछ लोगों का यह मौखिक सुझाव भी सही लगता है कि डीएम की अध्यक्षता में मेले के प्रभारी नगर आयुक्त के साथ ही एडीएम सिटी और एसपी सिटी आदि की सहमति से बनाई जाए और खर्चों के बिलों का सत्यापन ट्रेजरी अधिकारी वरूण खरे से कराये जाने के बाद ही भुगतान हो। इनका यह भी मत है कि सारी व्यवस्था तो कानून आदि की प्रशासन के सहयोग से पुलिस को करनी है और अन्य व्यवस्थाऐं नगर निगम द्वारा की जानी है इसलिए नौचंदी के पूर्ण संचालन हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में यह तीन सदस्य समिति घोषित की जाए। जो कार्यक्रमों में निमंत्रण और कहां क्या खर्च होना है आदि मिलकर तय करे और यह प्रांतीय मेला नौचंदी बिना किसी विवाद के संपन्न हो सके।

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