मेरठ 16 अप्रैल (प्र)। प्यास बुझाने के लिए जंगल छोड़कर गांवों की तरफ भागने की वजह से वन्य जीव मानव संघर्ष बढ़ता है। इससे बचने के लिए थर्मल कैमरे की मदद से जंगलों में ऐसे स्थानों पर वाटर होल बनाए गए हैं जहां वन्य जीवों की ज्यादा आवाजाही है। वन विभाग तीन से चार दिन के अंतराल पर वाटर होल को भर देता है।
2073 वर्ग किलोमीटर में फैला है हस्तिनापुर अभ्यारण्य प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी राजेश कुमार ने बताया कि हस्तिनापुर सैंक्चुअरी 2073 वर्ग किलोमीटर में फैली है। इसमें वन्य जीवों की सैकड़ों प्रजातियां रहती हैं।
इनके लिए वाटर होल बनाए जाते हैं जिससे वन्य जीव जंगल से बाहर न निकलें। एक वाटर होल में 200 लीटर पानी आता है। डीएफओ ने बताया कि हस्तिनापुर क्षेत्र में हाथियों की संख्या कम है, इसलिए पानी आदि पाए जाते हैं। पक्षियों में अधिक दिन चलता है।
हस्तिनापुर वन क्षेत्र में 40 से अधिक प्रकार के पाए जाते हैं वन्य जीव
स्तनधारियों जीवों में तेंदुआ, जंगली बिल्ली, बंदर, लोमड़ी, भेड़िया, सियार, नेवला, बिज्जू, हिरण, जंगली सूअर, खरगोश, कस्तूरी चूहे और चमगादड़ आदि पाए जाते है। पक्षियों में भूरा तीतर, काला तीतर, बटेर, मोर, कबूतर, बाज, सारस, चील, उल्लू, सफेद गिद्ध, कोयल और बुलबुल पाए जाते हैं। इसके अलावा कछुए, अजगर, कोबरा, क्रेट और रसल वाइपर सांप पाए जाते हैं।
थर्मल कैमरे की यह है विशेषता
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि इन कैमरों के जरिए जंगल में अधि तापमान वाला स्थान पता किया जाता है। अंधेरे में भी साफ तस्वीर या फिर वीडियो बनाई जाती है । धुएं में भी साफ दिखाई देता है। यानि जंगल में आग की सूचना भी देता है। यह कैमरा पांच किलोमीटर के दायरे को कवर करता है।