Thursday, November 13

गन हाउस पर बंदूकें ठीक करने वाला निकला हथियार तस्कर, गिरफ्तार

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मेरठ 12 जून (प्र)। मेरठ में गनहाउस पर बंदूकें सुधारने वाला कारीगर सारिक, अनिल बंजी गैंग का सदस्य और बड़ा हथियार तस्कर निकला। उसे एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है और .32 बोर की दो पिस्टल बरामद की है। सारिक खैरनगर में 2016 में बसपा नेता की हत्या में भी शामिल रहा था।

एसटीएफ मेरठ यूनिट ने सारिक निवासी जाकिर कॉलोनी को घर से मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से .32 बोर की दो पिस्टल बरामद की गई। सारिक, गुरबख्श गन हाउस मेरठ में हथियारों की मरम्मत करता था। उसने हर तरह की पिस्टल और रिवाल्वर समेत हथियार को ठीक करना और चलाना सीखा था। कुछ साल पहले सारिक, संजीव जीवा गैंग के सदस्य अनिल बंजी के संपर्क में आया। अनिल ने सारिक के साथ हथियार तस्करी का काम शुरू किया था। अनिल बंजी, सारिक, रोहन निवासी लोहड्डा बड़ौत समेत अन्य को साथ मिलाया। एसटीएफ ने 23 नवंबर 2024 को कंकरखेड़ा में रोहन को 17 अवैध बंदूकों और 700 कारतूस के साथ पकड़ा था। 20 दिसंबर 2024 को अनिल बालियान को पकड़ा गया, जिससे तीन विदेशी राइफल बरामद हुई। इसी गिरोह के सदस्यों की धरपकड़ के दौरान 13 मई 2025 को विपिन निवासी वाहिदपुर बड़ौत और 29 मई को धीरेंद्र सिंह निवासी बड़ौत को गिरफ्तार किया। अक्षय उर्फ भूरा निवासी रमाला बागपत ने 2 जून 2025 को कोर्ट में सरेंडर कर दिया और जेल चला गया।

बसपा नेता की हत्या की थी
एसटीएफ एसपी ब्रिजेश सिंह ने बताया सारिक ने 2016 में देहली गेट क्षेत्र के खैरनगर में बसपा नेता नासिर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात में सारिक के साथ उसका भाई रहमान भी शामिल था। हत्या का मुकदमा दर्ज है। सारिक पर 2019 में गैंगस्टर की कार्रवाई हुई है। सात माह पूर्व अनिल बंजी संग मिलकर सारिक और रोहिन ने पंजाब के मरहट्टा गन हाउस अटारी रोड अमृतसर से 17 बंदूक, 700 कारतूस लिए थे।

ऐसे सप्लाई होते थे लाइसेंसी हथियार

गन हाउस पर नए हथियारों के अलावा ऐसे पुराने हथियार भी होते हैं जिनको लाइसेंस होल्डर सरेंडर कर देते हैं। अगर किसी लाइसेंस होल्डर की मौत हो गई और उसके परिवार वालों ने लाइसेंस नहीं बनवाया तो उसे परमिशन लेकर गन हाउस पर बेच दिया जाता है। बहुत से लोग हथियार पुराने होने की वजह से बेच देते हैं।

नए लाइसेंस वाले लोग अमूमन नए हथियार ही लेते हैं। ऐसे में गन हाउस पर पुराने काफी हथियार होते हैं। अनिल बंजी ऐसे ही गन हाउस से सांठगांठ करके इन हथियारों को 40 से 50 हजार रुपए प्रति बन्दूक तथा 100 रुपए प्रति कारतूस (315 बोर) खरीदता था।

इसके बाद इन बंदूकों को यह लोग 80 हजार से 01 लाख में और कारतूस को 200 से 250 रुपए में बेच देते थे। गन हाउस का मालिक अनिल को असलाह व कारतूस किसी अन्य व्यक्ति के नाम से फर्जी रसीद काटकर देता था। वह फर्जी रसीदें अनिल बालियान अपने पास रखता था। फिर इन हथियारों को प्रोफेशनल बदमाशों को बेचा जाता था।

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