मेरठ 20 जून (प्र)। जातीय जनगणना एक ऐतिहासिक, साहसिक और सामाजिक बदलाव की दिशा में निर्णायक कदम है। यह केवल आंकड़ों की गणना नहीं, बल्कि वंचित और हकदार समाजों के अधिकार, उनकी राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक हिस्सेदारी और सामाजिक सम्मान सुनिश्चित करने का आधार है।
ये बातें मत्स्य मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के सुभाष चंद्र बोस सभागार में आयोजित मंडलीय संगोष्ठी में कहीं। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद, कश्यप, गोंड, बाथम, धीवर, मांझी, रायकवार जैसे जलाशय आधारित परंपरागत वंचित समाजों की सही संख्या को सामने लाएगी। यह गिनती ही भविष्य में उनकी भागीदारी का मजबूत आधार बनेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट लक्ष्य मछुआ समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, सामाजिक सम्मान दिलाना और समाज के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है। सरकार चाहती है कि मछुआ समाज आत्मनिर्भर बने, बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ें, अपनी आय में वृद्धि करे और प्रदेश के आर्थिक विकास में भागीदार बनें।
उन्होंने कहा कि मेरठ मंडल में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं। यहां उपलब्ध जलसंसाधनों का अधिकतम उपयोग कर मछुआ समाज को रोजगार देने के बड़े अवसर खोले जा सकते हैं। सरकार मेरठ मंडल में मत्स्य पालन के लिए आधुनिक हेचरी, मत्स्य बीज उत्पादन केंद्र, कोल्ड स्टोरेज, मत्स्य मंडी, प्रशिक्षण केंद्र एवं अन्य सहायक संरचनाओं की स्थापना पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना सिर्फ दस्तावेज भरने की प्रक्रिया नहीं है, यह अपने हक को दर्ज कराने का अवसर है। यदि गिनती गलत हो गई, तो हमारा हक और हिस्सेदारी भी कम हो जाएगी। मछुआ समाज के सभी उपजातियों से अपील की कि वे जातीय जनगणना के दौरान पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी से अपनी सही पहचान दर्ज कराएं। इस अवसर पर मेरठ मंडल के विभिन्न जनपदों से आये मत्स्य पालक, मछुआ प्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं निषाद पार्टी के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।