
मेरठ 26 जून (प्र)। आज संयुक्त व्यापार समिति मेरठ का एक प्रतिनिधि मंडल महामंत्री विपुल सिंगल के नेतृत्व में अपर आयुक्त मेरठ मंडल श्री अमित कुमार सिंह से उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, मेरठ द्वारा व्यावसायिक निर्माणों के चयनित ध्वस्तीकरण में अनियमितताओं, पारदर्शिता के अभाव एवं न्यायालयीन आदेशों के उल्लंघन के संबंध में तत्काल हस्तक्षेप हेतु उनके कार्यालय पर मिला।
संज्ञान में लाया गया कि माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद (वाद संख्या 4632/2013) एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय (वाद संख्या 14605/2024) के स्पष्ट निर्देशों के पालन में, आवास विकास परिषद मेरठ द्वारा मेरठ जनपद के 1459 व्यावसायिक निर्माणों को अवैध घोषित करते हुए उनके ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया गया है। यह अत्यंत चिंताजनक है कि केवल 32 निर्माणों (जिनमें प्लॉट क्रमांक 661/6, शास्त्री नगर सम्मिलित है) को ही प्राथमिकता देकर ध्वस्त किया जाना प्रस्तावित है, जबकि शेष 1427 निर्माणों के संबंध में कोई स्पष्ट कार्यवाही या पारदर्शी योजना प्रस्तुत नहीं की गई है।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 05.12.2014 (वाद संख्या 46342/2013, पृष्ठ 10, अनुच्छेद C) में स्पष्ट निर्देशित किया गया है कि: अर्थात, समान प्रकृति के सभी अवैध निर्माणों के साथ बिना किसी भेदभाव या पक्षपात के एकसमान कार्यवाही की जाए।
साथ ही, न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि: इससे स्पष्ट है कि जिन निर्माणों के ध्वस्तीकरण हेतु परिषद द्वारा पुलिस बल की मांग की गई थी, किंतु प्रशासनिक उदासीनता के कारण कार्यवाही नहीं हो पाई, उन सभी को प्राथमिकता से ध्वस्त किया जाना चाहिए।
विपुल सिंघल ने कहा कि वर्तमान चयन प्रक्रिया में निम्नलिखित गंभीर अनियमितताएं दृष्टिगोचर होती हैं:
मनमानी प्राथमिकता: ध्वस्तीकरण हेतु चुने गए 32 निर्माणों के चयन का कोई वैधानिक/न्यायिक आधार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराया गया है।
पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण: आम जनता एवं प्रभावित व्यापारियों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि राजनीतिक प्रभाव एवं आर्थिक लाभ के आधार पर कुछ निर्माणों को जानबूझकर छोड़ा जा रहा है।
संवैधानिक उल्लंघन: निर्बल वर्गों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के व्यापारियों से संबंधित निर्माणों को असमान रूप से लक्षित किया जाना अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) एवं अनुच्छेद 21 (जीवन एवं आजीविका के अधिकार) का स्पष्ट उल्लंघन है।
न्यायालय की अवमानना: न्यायालय द्वारा निर्धारित मापदंडों (पुलिस बल की मांग वाले मामले) की अनदेखी करना न्यायिक आदेशों की अवहेलना के समान है।
तत्काल कार्यवाही हेतु अनुरोध किया कि:
पारदर्शी मानदंड की घोषणा: सभी 1459 निर्माणों के ध्वस्तीकरण के स्थान पर उन मामलों को जहां पुलिस सहायता न मिलने के कारण अवैध निर्माण के ध्वस्तिकरण की कार्यवाही रुकी थी) ,न्यायालय के आदेशानुसार निर्धारित किए जाएं।
सभी निर्माणों के ध्वस्तीकरण हेतु एक समान एवं पारदर्शी मानदंड माननीय न्यायालयों के निर्देशानुसार कमेटी गठित कर निर्धारित किए जाएं।
चयनित 32 निर्माणों की प्राथमिकता का वैधानिक आधार (यदि कोई है) सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए ताकि जनता/व्यापारियों का विश्वास बहाल हो सके।
जब तक उपरोक्त विषयों पर आवास विकास परिषद मेरठ से संतोषजनक जवाब न मिले तब तक इस पक्षपातपूर्ण रूप से इन 32 निर्माणों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए ।
यह भी कहा कि यदि 7 दिनों के भीतर संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है, तो माननीय न्यायालयों में अवमानना याचिका एवं राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इन सभी को पत्र की प्रतिलिपि भेजी गई ।
- माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ।
- आवास आयुक्त, आवास विकास परिषद ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
- जिलाधिकारी, मेरठ मंडल, मेरठ।
- अधीक्षण अभियंता, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, मेरठ।
- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मेरठ।
- रजिस्ट्रार, माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद।
- रजिस्ट्रार, माननीय सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली।
इस मौके पर संयुक्त व्यापार समिति के अध्यक्ष नवीन अग्रवाल ,महामंत्री विपुल सिंघल, कोषाध्यक्ष मनोज गुप्ता, किशोर वाधवा सहित सेंट्रल मार्केट के अनेकों व्यापारी मौजूद रहे।