Saturday, July 12

मोटा अनाज है सेहत का खजाना

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भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की 65 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है जो 100 प्रतिशत आबादी के लिए रोटी कपड़ा और मकान की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति करती है जीवित रहने के लिए रोटी सबसे अधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। रोटी हमें केवल अन्न से मिलती है अन्न दो प्रकार के होते हैं छोटा अनाज एक मोटा अनाज छोटे अनाज में गेहूं चावल आदि आते हैं और मोटे अनाज में हम जवार बाजार मक्का, चना, जौ, रागी, कुट्टू समक गवार मेथी आदि को रखते हैं।

इसी मोटा अनाज को हम गरीबों का अनाज भी बोलते हैं वास्तव में कुछ दशकपूर्व तक भारत की कृषि वर्ष पर आधारित होती थी सिंचाई के संसाधनों विकसित होने तथा कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बीजों की नई प्रजातियों का खोज करने के बाद एवं हरित क्रांति आने के बाद भारत में गेहूं और चावल की उत्पादन और उत्पादकता में आशातीत वृद्धि हुई है और उसके बाद भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना है। पहले हम आयात करते थे गेहूं चावल आदि। लेकिन अब हम हरित क्रांति के बाद निर्यात करते हैं अपने खाद्यान्न को।
हमारे कृषि वैज्ञानिक को और चिकित्सकों ने यह पाया है की जो पूर्व में वर्षा आधारित अनाज का उत्पादन होता था यानी के मोटा अनाज वह मानव के लिए ज्यादा सेहतमंद है उसमें जहां पोषक तत्वों की मात्रा अधिक पाई जाती है वहीं पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी उसमें उपलब्ध रहता है इसीलिए यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। मोटे अनाज में जहां पौष्टिकता अधिक है लेकिन छोटे अनाज में ऊर्जा एवं कैलोरी अधिक मात्रा में पाई जाती है जो मानव स्वास्थ्य के लिए मुफीद नहीं है।
मोटे अनाज की खेती से जहां खाद्यान्न सुरक्षा मजबूत होती है वही जलवायु परिवर्तन में भी यह महत्वपूर्ण भागीदारी करता है इस अनाज के उत्पादन में किसान भाइयों को जहां सिंचाई पर व्यय नहीं करना पड़ता वही यह अनाज कम सिंचाई के संसाधन वाली जमीन पर ऊसर आदि ऐसी खराब जमीन पर भी इसकी खेती की जाती है जिसका उपयोग किसान भाई सामान्य खेती के लिए नहीं कर पाते हैं। मोटा अनाज की खेती कम पानी में तथा खराब मिट्टी में बेहतरीन तरीके से की जाती है जिससे किसानों को अपनी ऊसर भूमि का सदुपयोग करने का सीधा फायदा मिल जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक तथा वैज्ञानिकों का यह भी मानना है मोटे अनाज के सेवन से शरीर में अनेक बीमारियां दूर हो जाती है मोटा अनाज डायबिटीज को रोकता है कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से रोकता है कैंसर की रोकथाम करता है हार्ट अटैक से बचाता है पाचन तंत्र को मजबूत करता है कुपोषणता को पूरी तरह से बचाता है मोटापे को घटाता है इस अनाज के कुछ भाग को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है मोटा अनाज इम्यूनिटी को मजबूत करता है जिससे विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है इसीलिए मोटे अनाज को सेहत का खजाना कहा जाता है।

मोटे अनाज के उत्पादन से जहां हमारी कृषि में विविधता आती है वही हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर भी बन जाते हैं इसकी खेती से गिरते जल स्तर को भी रोका जाता है क्योंकि इसमें पानी की आवश्यकता नहीं है। मोटे अनाज की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान भाइयों को इसकी उपज का बहुत अच्छा दम आसानी से बाजार में मिल जाता है इससे किसान भाइयों की माली हालत भी मजबूत होती है सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी खेती से मौसम की मार किसान भाइयों को नहीं झेलनी पड़ती है इसीलिए इस अनाज को श्री अन्न के रूप में भी जाना जाता है इसको मिलिट्स भी कहा जाता है।
मोटा अनाज दुनिया के लगभग 130 देश में उगाया जाता है लेकिन एशियाई देशों का लगभग 80 प्रतिशत उत्पादन केवल मोटे अनाज का भारत में ही होता है। मोटे अनाज की बढ़ती मांग तथा स्वास्थ्यवर्धकता को देखते हुए भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा इसकी खेती को जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए तथा इसमें नई प्रजातियां व उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान किया जा रहे हैं इसके शीघ्र ही नतीजा सामने आएंगे और हमारे किसान भाइयों को उसका लाभ भी मिलेगा।
भारत के प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज को समर्थन मिला है तथा वैश्विक स्तर पर इस मोटे अनाज की अलग पहचान बनी है वैश्विक स्तर पर 70 देशों ने इसका खुला समर्थन किया है। वैज्ञानिकों ने धर्मशाला में जी-20 के विदेशी एवं विशिष्ट मेहमानों की बैठक में मोटे अनाज के विभिन्न प्रकार के व्यंजन भरोसे गए थे कुकीज भी इसी अनाज के भरोसे गए थे उसी बैठक में मोटे अनाज के संबंध में किये जा रहे आविष्कार तथा शोध अध्ययन के संबंध में बताया गया था। इस अनाज के ऊपर भारत सरकार के वित्त मंत्री ने भी अपने बजट भाषण में चर्चा की तथा इस अनाज की पहचान को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने श्री अन्न योजना भी संचालित करने की घोषणा की भारत के प्रधानमंत्री के सार्थक प्रयासों से वर्ष वर्ष 2023 को मोटे अनाज के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया गया।
मोटे अनाज का उपयोग केवल हम भोजन के लिए ही नहीं करते बल्कि इसके बिस्किट, कुकीज, दलिया, लड्डू पकौड़ियां, ब्रेड, केक सहित शराब बनाने एवं पशुओं के चारे के लिए भी इसका सदुपयोग होता है। भारत के प्रधानमंत्री ने सांसद एवं राज्यसभा के भोजनालय में मोटे अनाज की ही चपातियां उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया है ताकि हमारे सभी जनप्रतिनिधिगण मोटे अनाज का सदुपयोग करते रहे साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनो ने भी मोटे अनाज के लिए काफी सार्थक पहल की है। वह संस्थाएं प्रत्येक वर्ष समय-समय पर गोष्ठियां आयोजित करती है तथा इसके प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्यक्रम भी आयोजित करती है। मेरठ में भी ऐसी कई संस्थाएं है जो इसके प्रचार-प्रसार में जुटी है ताकि आम जनता में मोटे अनाज की अवेयरनेस आ सके। देखने में आता है मोटे अनाज की पौष्टिकता को दृष्टिगत रखते हुये विभिन्न होटलो, रेस्टोरेंट में इसकी चपातियां महंगी मिल रही है।
दुनिया में भारत किसका बड़ा उत्पादक देश है। भारत में कर्नाटक मध्य प्रदेश राजस्थान सहित का काफी प्रांत है जो इसका अच्छा उत्पादन करते हैं मोटे अनाज की उत्पादकता उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने केवल किसानों को अच्छा बाजार महिया कर रही है उनको इस अनाज पर सब्सिडी भी दे रही है साथी वैज्ञानिक खोज भी खेत और कल्याण में पहुंचने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है ताकि हमारे किसान भाइयों की हालत मजबूत हो सके। सच में अगर मैं कहूं की मोटा अनाज सेहत के लिए वरदान है और यह सेहत का पूरा संसार अपने में समाहित किए हुए हैं तो अतिशोक्ति नहीं होगा।
प्रस्तुतिः- सुरेंद्र शर्मा पूर्व जिला सूचना अधिकारी स्वतंत्र पत्रकार

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