दूध निकालकर बेचने और फिर इस काम में लगे ज्यादातर लोगों द्वारा भैंस और गायों को खुले में छोड़ देने की समस्या हमेशा ही रही है और जब जानवर दूध देना बंद कर देते है तो उन पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता ऐसे में उनका सही पालन पोषण और देखभाल की ओर सरकार का ध्यान गया और गौवंश को समाज में सम्मान और नागरिकों में आस्था और इनके पालन पोषण के लिए सरकार ने कदम उठाया परिणाम स्वरूप जगह जगह कहीं कान्हा उपवन और कहीं और नामों से गौशालाऐं अस्तित्व में आई उसके बाद से उनकी देखभाल कितनी हो रही है यह तो आये दिन पाठक खबरों में पढ़ ही रहे है। मगर जो सुधार होने की उम्मीद सरकार को थी वो होती कहीं नजर नहीं आ रही जबकि कुछ समय से कहीं इन्हें ठंड से बचाने के लिए कम्बल ओढ़ाने व आलावा जलाने की खबरें तो खूब पढ़ने को मिलती रही लेकिन जिस दृष्टि से गौशालाओं का निर्माण सरकार ने कराया वो पूरी होती नहीं नजर आई। इसके उदाहरण में हम प्रदेश के जनपद मेरठ में शासन द्वारा बनाये गये कान्हा उपवन को देख सकते है। इसके रखरखाव और गौवंशों की देखभाल और उनके इलाज आदि पर सरकार भरपूर पैसा खर्च कर रही है फिर भी प्रभारी मंत्री ने निरीक्षण किया तो कमियां ही कमियां नजर आई और कुछ गंभीर मामले भी खुलकर सामने आये। जिसके बाद एक दो अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई भी की गई मगर सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। जबकि कमिश्नर डीएम से लेकर महापौर नगर आयुक्त तक इस मामले में सक्रिय है और कान्हा उपवन का निरीक्षण भी निरंतर कर रहे है।
जहां तक मुझे लगता है कि एक ग्रामीण कहावत कि जिसका काम उसी को साजे बाकी करे तो! एक खबर के अनुसार अब प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी अगले कुछ दिनों में यहां मंड़लीय समीक्षा बैठक के लिए आ सकते है और अगर आगामी 3 अगस्त को जैसा की चर्चा है अगर माननीय मुख्यमंत्री जी आते है तो वो यहां के कान्हा उपवन व गौवंशों की स्थिति पर भी समीक्षा जरूर करेंगे इस बात को ध्यान में रखते हुए हर बड़ा अफसर एक बार कान्हा उपवन का निरीक्षण जरूर कर रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी आप तो जमीन और गांव की पृष्ठ भूमि से आम आदमी के हिसाब से सोचने और जानकारी रखने में अग्रणी है। ऐसे में अगर गौवंशों को ग्रामीण किसानों को सौंप उनकी देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी उनहें सौंपते हुए जितना खर्च अब किया जा रहा है इन पर वो उन्हें दिया जाए तो मुझे लगता है कि गौवंशों की देखभाल काफी अच्छी हो सकती है क्योंकि उन्हें जैसा अब तक देखा उसके अनुसार पंखे कूलर की आवश्यकता नहीं है उन्हें खुले और साफ सुथरे वातावरण में विचरण करने का माहौल अच्छा भोजन चाहिए जो गांवों में आराम से मिल सकता है। और क्योंकि जिन लोगों को यह काम सौंपा जाएगा उन पर जिम्मेदार अफसर निगाह भी रखेंगे वो लापरवाही भी नहीं कर सकते। लेकिन सरकारी अफसरों से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वो ऐसा कर ही नहीं पाएंगे। इनकी देखभाल तो किसान इनसे भावात्मक रिश्ता होने के चलते भी इनकी देखभाल अच्छी कर सकते है। और क्योंकि गांव देहातों में वहां के और शहरों के गौवंशों के प्रति सद्भाव रखने वाले लोग वहां जाकर देखभाल में भी सहयोग कर सकते है ऐसे में गौवंशों का जीवन ज्यादा बढ़ सकता हैं ताजा हवा और स्वच्छ वातावरण से वो स्वस्थ भी रहेंगे इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी गौवंशों की देखभाल की जिम्मेदारी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले जो लोग आगे बढ़कर रूचि दिखाये उन्हें दे दी जाए तो यह साकारात्मक प्रयास और गौवंशो की देखभाल का अच्छा निर्णय हो सकता है।
(जनहित में प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक व पत्रकार)
गौमाता के हित में! मुख्यमंत्री जी सरकारी अफसरों के बस का गौवंशों की देखभाल करना संभव नहीं, ग्रामीण किसानों को दी जाए इनकी देखभाल व पालन पोषण की जिम्मेदारी
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