आदिकाल में जब कहीं कोई कष्ट होता था या सामूहिक परेशानियां आती थी तो उस समय समाज हित की सोचने वाले लोग भगवान को खुश करने के लिए तपस्या करते थे और परेशानी के समाधान के लिए वरदान मांगा जाता था। जब राजाओं का युग शुरू हुआ तो संभ्रांत नागरिक जिनकी पहुंच राजदरबार आदि तक में होती थी उनके बाद नवाब जमींदारों के सामने जनसमस्याएं रखी जाती थी और राजा उधर आ गए तो उन्हें दिखाने के साथ कठिनाईयों के बारे में बताया जाता था। उनका हल भी निकल ही आता था। उस समय के जनप्रतिनिधि कहे जाने वाले लोग छोटी बातों पर भी ध्यान देते थे और नागरिकों की परेशानी दूर कराते थे। वर्तमान समय में भले ही देश लोकतंत्र का सिरमौर है और हर आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन यह कितने सोचने का विषय है कि गत दिवस प्रदेश के मुखिया सीएम मेरठ आए और उन्होंने 15-16 घंटे का समय यहां बिताया। न्यू टाउनशिप का शिलान्यास करते हुए बड़ी बड़ी बातें जो उन्हें बताई गई वो सुनी। जनप्रतिनिधि भी पीछे नहीं रहे। कोई हाईकोर्ट बेंच मांग रहा था तो कोई अन्य प्रकार की मांग कर रहा था। लेकिन इनमें से ज्यादातर वो मांगे थी जो कई सालों से चलती आ रही हैं। पीएम हो या सीएम सांसद विधायक और अन्य उन्हें पूरा करने की मांग करते रहे हैं। न्यू इंटीग्रेडेट टाउनशिप का शुभारंभ हो गया। बनकर कब तैयार होगी यह वक्त बताएगा क्योंकि अभी 20 सालों से चल रही योजनाएं भी पूर्ण रूप नहीं ले पाई हैं। मगर हर समस्या का समाधान करने में सक्षम और जनहित को छोड़कर हर तरह के तामझाम से दूर योगी आदित्यनाथ जिनके बारे में कहा जाता है कि अगर उन्हें कोई बात समझा दी जाए तो उसे पूरा होते देर नहीं लगती। इसके बावजूद जहां तक पढ़ने सुनने को मिल रहा है जनप्रतिनिधियों द्वारा नागरिकों की जो सही परेशानियां थी जैसे टूटी सड़कें, गंदगी का साम्राज्य असुनियोजित विकास और अनाप शनाप खर्च हो रही धनराशि की ओर ध्यान दिलाते हुए प्रदेश में सीएम का पद संभालने के बाद से गडढा मुक्त सड़क बनाने के आदेश देते चले आ रहे योगी से कैंट की टूटी सड़कों को बनवाने या सुधरवाने नाले नालियों की सफाई कराकर कूड़ा उठवाने और सरकारी योजनाओं का लाभ जनता को मिले तथा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही योजनाओं की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान शायद किसी ने नहीं दिलाया। दबी जबान से कहा भी गया होगा तो सीएम की उस पर निगाह नहीं गई। क्योंकि जैसा प्रतिनिधियों ने मांग की वैसा ही प्रदेश मुखिया ने घोषणा की लेकिन जरा सा विधायक सांसद जनसमस्याओं की ओर सीएम का ध्यान दिला देते तो यह पक्का था कि जनपद के नागरिकों की कई कठिनाईयां दूर हो सकती थी। मजे की बात यह रही कि खुद सीएम ने हाल के दिनों में बढ़े सड़क हादसों की तुलना कोरोना से भी खतरनाक हादसों के रूप में की और सख्त नाराजगी जाहिर की। यातायात व्यवस्था में सुधार की बात की। इसी दौरान अगर जनप्रतिनिधि सड़कों गंदगी भ्रष्टाचार से संबंध समस्याओं की ओर उनका ध्यान दिला देते तो नागरिकों के चेहरों पर भी चमक आ सकती थी। अब जो बड़े नेता जिन बातों के लिए उनका आभार जता रहे हैं आम आदमी भी मुख्यमंत्री के साथ विधायकों सांसदों का आभार व्यक्त करते। जहां तक देखा कपड़े धारण करने से नहीं सोच से भी संत योगी जी के बारे में लोग कहते हैं कि वो बड़े सरल स्वभाव के हैं और उन्हें जमीन से लेकर आसमान तक जानकारी प्राप्त है और उनके पास ज्ञान का भंडार है। ऐसे में अगर नेता उन्हें बताते तो वो कुछ समय के लिए जिस प्रकार से जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक को देखने गए उसी प्रकार शहर का दौरा भी कर सकते थे। ऐसे में यह कह सकता हूं कि दस साल से जो करोड़ो खर्च के बाद भी मेरठ स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया वो सीएम के एक राउंड लेने से छह माह में बन सकता था।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रदेश के मुखिया से जनप्रतिनिधियों ने सड़कों में सुधार और गंदगी से मुक्ति और नई सड़कों का उपहार मांग लेते तो शहर को स्मार्ट सिटी बनते देर नहीं लगती
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