नई दिल्ली 15 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने देश को संबोधित करते हुए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को भी बड़ा संदेश दे दिया.
प्रधानमंत्री ने सिंधु जल संधि पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि देश के नागरिक अब भली-भांति समझ चुके हैं कि यह समझौता भारत के लिए कितना अन्यायपूर्ण और एकतरफ़ा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले सात दशकों से भारत की नदियों का कीमती पानी पाकिस्तान के खेतों की सिंचाई में इस्तेमाल होता रहा, जबकि भारत के अपने किसान पानी के अभाव में संघर्ष करते रहे।
मोदी ने इसे न केवल एक आर्थिक नुकसान बताया, बल्कि इसे देश के किसानों के अधिकारों का हनन भी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत के किसानों को “अकल्पनीय नुकसान” देता आया है और अब समय आ गया है कि इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारा जाए। प्रधानमंत्री के इस बयान को विशेषज्ञ भारत की जल कूटनीति में संभावित बड़े बदलाव के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
भाषण में मोदी ने यह स्पष्ट किया कि आगे से भारत की नदियों का पानी सबसे पहले और सबसे अधिक भारत के किसानों के लिए ही होगा। उनका यह रुख पाकिस्तान को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति और राष्ट्रीय संसाधनों की सुरक्षा पर केंद्रित रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-पाकिस्तान संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं और सीमा पर सुरक्षा हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। मोदी का यह संदेश न केवल देश के किसानों के मनोबल को मजबूत करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह संकेत देता है कि भारत अब अपने प्राकृतिक संसाधनों के मामले में समझौता करने को तैयार नहीं है। लाल किले से दिया गया यह सख्त संदेश, जल अधिकारों पर भारत के नए दृष्टिकोण की घोषणा जैसा प्रतीत होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अब न तो सिंधु जल समझौते के मौजूदा स्वरूप को स्वीकार करेगा और न ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की परमाणु धमकियों को बर्दाश्त करेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे. सिंधु समझौता एकतरफा और अन्यायपूर्ण है, जिसने सात दशकों तक भारतीय किसानों को अकल्पनीय नुकसान पहुंचाया. भारत का पानी भारत और उसके किसानों के लिए है.
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने आतंकियों और उनके समर्थकों को कड़ा जवाब दिया है और भारत अब किसी भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल को सहन नहीं करेगा. यह संदेश पाकिस्तान के लिए स्पष्ट चेतावनी थी कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.
