Tuesday, October 14

ट्रंप साहब को सोचना होगा! सात साल बाद अमेरिका में क्यों उत्पन्न हो रही है शटडाउन की स्थिति

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भारत-पाक युद्ध रूकवाने में भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी भूमिका बता रहे हो लेकिन हमारे पीएम से लेकर तमाम नेता इस बात से इनकार कर चुके हैं फिर भी अगर अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार मिलता है तो शायद किसी को कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि यह सम्मान पाने के लिए प्रयासरत नजर आ रहे ट्रंप शायद ऐसा होने पर सबके हित की और विकास की सोचने लगे। लेकिन फिलहाल ट्रंप अपने देश में अब १४वां शटडाउन लगाने की ओर अग्रसर हैं। इससे पहले १३ बार यह व्यवस्था वहां लागू हो चुकी बताई जाती है। भले ही जल्दी जल्दी वो बहाल भी हो गई हो लेकिन किसी भी देश में ८७ प्रतिशत कर्मचारियों को छुटटी पर भेजा जाना और स्वास्थ्य सेवा को छोड़ बाकी पर रोक लगाने जैसी संभावनाएं ठीक नहीं कही जा सकती इसलिए डोनाल्ड ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जो पिछले कार्यकाल में संबंध बनाए हुए थे उनकी बहाली कर जो यह अनावश्यक रूप से दबाव बनाने हेतु टैरिफ का सहारा लिया जा रहा है उसे बंद करें। क्योंकि भले ही कह कोई कुछ भी लेकिन फिलहाल जो अमेरिका की स्थिति खबरों में पढ़ने को मिल रही है उसे देखकर भविष्य की संभावनाएं वहां के नागरिकों के लिए भी कष्टदायक होने की हैं। अच्छा तो यही है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने देश की जो नीतियां पूर्व में दूसरे देशों के साथ लागू कर आपसी सौहार्द और संबंधों की मधुरता कायम की थी उसे जारी रखें। यह किसी से छिपा नहीं है कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटस दोनों पक्षों के बीच सहमति ना बनने से जो समस्याएं सामने आने वाली हैं वो किसी के लिए भी ठीक नहीं कही जा सकती। १०० सदस्यों वाले सीनेट में ६० वोटों की दरकार प्रस्ताव को पास कराने हेतु बताई जा रही है तो डोनाल्ड ट्रंप नहीं करा पाए। ऐसे में वो खुद ही समझ सकते हैं कि जो वर्तमान नीतियां बनाई जा रही है उनसे उनके सहयोगी भी संतुष्ट नहीं लगते हैं। यह जरुर कहा जा सकता है कि पीएम मोदी से पुरानी दोस्ती को मजबूत कर और थोपे गए टैरिफों को समाप्त कर शटडाउन की चपेट में आने जैसी समस्याओं का समाधान खोजने में सफल हो सकती है क्योंकि भले ही हहमें कुछ लाभ उनकी सरकार से होते हो लेकिन हमारी सरकार से भी उन्हें फायदे जरुर होते हैं फिर भारत विश्व के बड़े बाजारों में से एक हैं। इसलिए जो सामान की खपत हमारे यहां होती है वो कई देशें की वित्तीय स्थिति सुधारने में सक्षम है। डोनाल्ड ट्रंप को यह भी सोचना होगा कि सात साल बाद उनके देश में यह स्थिति क्यों बनने की ओर अग्रसर है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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