Tuesday, October 14

कूड़े और गंदगी व प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए काम करने वाले आविष्कारकों को सरकार दे नोबेल जैसा सम्मान

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न्यूयार्क टाइम्स के हवाले से छपी एक खबर कि अणुओं की संरचना का एक नया रूप विकसित करने के लिए तीन वैज्ञानिकों सुसुम कितागावा, रिचर्ड राबसन व उमर याची को इस साल का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। इनके द्वारा विकसित तकनीकी से जलवायु परिवर्तन एवं स्वच्छ पानी की कमी से निपटने में मदद मिलेगी। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जो इन्हें मिल रहा है वो अच्छी बात है। इनके अनोखे विवरण प्रस्तुत करते हुए नोबेल पुस्कार समिति ने कहा कि इनका क्षेत्र बड़़ा है। उपलब्धि भी बड़ी होगी। यह तीनों विदेशों के विवि में प्रोफेसर और आविष्कारक हैं। इनके शोध से रेगिस्तान की हवा से पानी इकटठा करने में मदद मिलेगी।
इनसे जो नागरिक सुविधा मिलेगी वो अलग बात है लेकिन सबसे बड़ी मांग यह है कि जो पानी और ऑक्सीजन की कमी के कारण बन रहे हैं जैसे पेड़ पहाड़ की कटाई पानी और जमीन का दोहन बिजली की बर्बादी के साथ ही पेट्रोल डीजल से फैलने वाले प्रदूषण की रोकथाम के बारे में विचार होना चाहिए। देश में पीएम द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है उसके बावजूद चारों तरफ गंदगी के ढेर और नालों से बदबू का अहसास होता है उससे यह कहा जा सकता है कि इनसे बढ़ती बीमारियों के इलाज के बारे में बात करने वाले डॉक्टर साहब सरकार को इस प्रकार के सुझाव नहीं देते कि गंदगी से छुटकारा आम आदमी को केसे मिले। मुझे लगता है कि भारत सरकार को गंदगी के छुटकारे के लिए ऐसी खोज करने वालों को नोबेल जैसा पुरस्कार देने की घोषणा करनी चाहिए। क्योंकि जिम्मेदार तो बजट होने के बाद भी काम करने की बजाय पिछड़ते जा रहे हैं भले ही उनका बैंक बैलेंस बढ़ रहा है और आम आदमी गंदगी से पैदा होती बीमारियों में जीने मरने के लिए मजबूर हैं आखिर क्यों
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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