Tuesday, October 14

सीसीएसयू में पेट्रोल बम फोड़ने की जांच हेतु दो समितियां गठित

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मेरठ 14 अक्टूबर (प्र)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) के पंडित दीन दयाल उपाध्याय छात्रावास में पेट्रोल बम फोड़े जाने के मामले में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला सख्त रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

कुलपति ने स्वयं इस प्रकरण की निगरानी शुरू कर दी है। यह घटना 10 अक्टूबर की रात को हुई, जब कुछ छात्रों ने छात्रावास परिसर में पेट्रोल बम फोड़ा। इसके बाद 11 अक्टूबर की सुबह यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें छात्र पेट्रोल बम फोड़ते दिखाई दिए।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के कारण मामला गंभीर होता गया। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रावास का निरीक्षण किए जाने पर परिसर में नुकसान की पुष्टि हुई। वीडियो के आधार पर प्रशासन ने 5 छात्रों सुमित कन्नौजिया, शिवांश मिश्रा, प्रियांशु सिंह, अभय शर्मा और अमन रैका की पहचान की, जो घटना में सीधे तौर पर शामिल पाए गए। इन सभी को तत्काल छात्रावास से निष्कासित कर दिया गया। इनके अतिरिक्त 9 और छात्रों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिन्हें एक माह के लिए निलंबित किया गया है।

5 मुख्य आरोपी छात्रों की प्रोफाइल
सुमित कन्नौजिया – विभाग: आईटी, कक्षा: बीटेक द्वितीय वर्ष, निवासी: लखीमपुर खीरी
शिवांश मिश्रा – विभाग: आईटी, कक्षा: बीटेक द्वितीय वर्ष, निवासी: प्रयागराज
प्रियांशु सिंह- विभाग: ईआई, कक्षा: बीटेक द्वितीय वर्ष, निवासी: गाजीपुर
अभय शर्मा- विभाग: ईसी, कक्षा: बीटेक द्वितीय वर्ष, निवासी: सुलतानपुर
अमन रैका- विभाग: सीएस, कक्षा: बीटेक द्वितीय वर्ष, निवासी: शिकोहाबाद

मेडिकल थाना प्रभारी (एसएचओ) शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अज्ञात छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वायरल वीडियो को साक्ष्य के तौर पर मुकदमे में शामिल किया जा रहा है। जिन छात्रों की पहचान हुई है, उन्हें भी जल्द ही मुकदमे में शामिल किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर छात्रावास जाकर छात्रों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे।

कुलपति ने किया छात्रावास का निरीक्षण
सोमवार को कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने चीफ वार्डन, वार्डन और प्रोक्टोरिल बोर्ड के सदस्यों के साथ छात्रावास का दौरा किया। उन्होंने छात्रों से घटना के बारे में जानकारी ली और स्पष्ट कहा कि वह छात्रावास का वातावरण खराब नहीं होने देंगी। दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद कुलपति सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज भी पहुंचीं और वहाँ भी छात्रों से संवाद किया। इस सख्ती के बाद छात्रावास में सन्नाटा छा गया। आमतौर पर परिसर में घूमने-फिरने वाले छात्र भी अपने कमरों में बंद नजर आए। छात्रावास के बाहर भी सन्नाटा पसरा रहा। कोई भी छात्र सामने आने का साहस नहीं कर पाया।

दो जांच समितियां गठित
कुलपति ने इस मामले की जांच के लिए दो समितियां बनाई हैं:
विभाग स्तरीय समिति: इसमें प्रो. नीरज सिंगल (डायरेक्टर), प्रो. संजय भारद्वाज (डीन टेक्नोलॉजी), प्रो. इंचार्ज और अन्य एक सदस्य शामिल हैं।
वार्डन समिति: इसमें चीफ वार्डन डॉ. दिनेश कुमार और आठ अन्य छात्रावासों के वार्डन शामिल हैं। दोनों समितियों को 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

जांच के प्रमुख पॉइंट
मुख्य रूप से किन छात्रों ने घटना को अंजाम दिया?
पटाखों और पेट्रोल की व्यवस्था किसने की?
गेट पर तैनात गार्ड को पेट्रोल या बम की जानकारी क्यों नहीं हुई?
क्या इस घटना में बाहरी लोग भी शामिल थे?
यूनिवर्सिटी की कौन-कौन सी संपत्ति को नुकसान पहुंचा?
सीसीटीवी कैमरों में कितने छात्र दिख रहे हैं?

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