ग्रामीण कहावत जो बिंद गया वो मोती जो रह गया वो पत्थर आजकल हापुड़ स्थित मोनार्ड विवि के संचालक बिजेंद्र हुडडा पर एक प्रकार से सही उतरती है। हम किसी भी फर्जी कार्य या नियम विरूद्ध कार्य का समर्थन नहीं करते हैं और ना ऐसा करने वालों का बचाव मगर फर्जी मार्कशीट और डिग्री मामले से देशभर में चर्चाओं और मीडिया की सुर्खिया बना मोनार्ड विवि के चेयरमैन बिजेंद्र हुडडा आदि जेल में बंद बताए जा रहे हैं। गलत किया है तो सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी।
लेकिन मोनार्ड की कार्यप्रणाली प्रकाश में आने के बाद विश्वविद्यालयों में नियम विरूद्ध कार्य रोकने के लिए जिम्मेदार सभी विभागों के अधिकारियों को ऐसा फर्जीवाड़ा कहीं ना होने देने के लिए जो सतर्कता अपनानी चाहिए था शायद वो नहीं अपनाई गई है। कहीं आधिकारिक रूप से तो तथ्य और बात सामने नहीं है लेकिन जितना विवि और शिक्षा के क्षेत्र की जानकारी रखने वालों से सुनने को मिलता है उसके अनुसार मोनार्ड जैसे कार्यों को अंजाम देने या उससे भी ज्यादा ऐसे कार्यों में लिप्त और भी कई स्थान हो सकते हैं। पिछले वर्ष कॉलेजों को रैंक देने वाले संस्थान के अध्यक्ष रिश्वत लेने के आरोप लगे थे उससे भी यह आभास होता है कि रैंकिंग देने में काफी मोटा बजट खर्च होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। गांवों में एक चर्चा हमेशा सुनने को मिलती है कि कहीं धुंआ उठ रहा है तो चिंगारी जरूर लगी होगी इसलिए चर्चा चल रही है कुछ तो सत्य भी हो सकती है इसलिए मेरा मानना है कि विवि की मान्यता देने और नियमों का पालन हो रहा है या नहीं यह देखने के लिए केंद्र व प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को विवादित या संदेह के घेरे में समझी जाने वाली विवि की जांच करानी चाहिए क्योंकि मामला खुलने से पहले मोनार्ड विवि और उसके कुलपति पाक साफ नजर आते थे इसलिए कही भी कुछ भी सकता है। इसे ध्यान रख सभी विवि की कार्यप्रणाली पर नजर बनाए रखनी चाहिए क्योंकि बीते दिनों कई छात्र नेताओं और छात्रों ने सरकारी सहायता से चले रहे विवि में आर्थिक मुददों पर सवाल उठाए थे। मैं किसी को सही या गलत नहीं कह रहा लेकिन कुछ माह पूर्व रूड़की रोड स्थित शोभित विवि ने जेपी रेजीडेंसी जिसे लेकर हमेशा विवाद होते रहे हैं के संचालक को दी गई पीएचडी की डिग्री को लेकर समय असमय सवाल उठते रहे हैं और चर्चा होती रहती है। मैं यह नहीं कहता कि विवि ने वो डिग्री गलत तरीके से दी होगी मगर जब चर्चा चल रही है तो स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस डिग्री प्रकरण की भी जांच होनी चाहिए क्योकि शोभित विवि एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था है और डिग्री को लेकर हो रही चर्चाओं से सवाल उठते हैं इसलिए दी गई थी डिग्री की भी गोपनीय जांच कराई जाए कि किस प्रोफेसर के संरक्षण में डिग्री दी गई और किसी और का मैटर लेकर पैसे के दम तो कोई डॉक्टर साहब नहीं बना। इस बारे में जो भी संभव हो वो होना चाहिए और वैसे भी आजकल मीडिया घरानों द्वारा जो सर्वे किए और कराए जा रहे हैं उसमें शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवाज बुलंद तरीके से उठ रही है
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मोनार्ड विवि जैसा फर्जीवाड़े ? बिल्डर को दी गई पीएचडी की डिग्री की हो जांच
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