देश में रेल डाक सेवा की स्थापना लार्ड डलहौजी के शासनकाल में हुई। दो आने से शुरू रजिस्टर्ड डाक का सफर १४९ साल बाद थमा और उसने स्पीड पोस्ट की जगह पोस्ट फॉर पीपल्स लोकल सर्विस ग्लोबल रीच है। १८७४ में स्वीटरजरलैंड के बर्न में यनिवर्सल पोस्ट की स्थापना हुई थी। भारत १८७६ में इसका सदस्य बना। तब से रजिस्टर्ड डाक सेवा की शुरुआत हुई। उस समय यह सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय माध्यम माना जाता था। अदालत की पत्रावली हो या पारिवारिक सूचना मनीआर्डर सबमे डाकिये की महत्वपूर्ण भूमिका थी। डाकिये के आने का इंतजार लोग करते थे। अब मनीऑर्डर आधार कार्ड से लेकर डिजिटल पेमेंट, बीमा, निवेश, रेलवे टिकट बुकिंग आदि सेवाओं ने डाक विभाग को नई पहचान दी है। अब रजिस्टर्ड डाक का स्थान नई तकनीकी ले रही हैं। अकेले मेरठ में ११०० डाकिये कार्यरत हैं। डाकघर की १६२ शाखाएं उपडाकघर ५९ और प्रधान डाकघर दो हैं। देश भर में डाकखानों की क्या संख्या होगी और कितने डाकिये सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
आज हम विश्व डाक दिवस मना रहे हैं। डाक विभाग के अधिकारियों द्वारा नई तकनीकी और सुविधाओं का लाभ पहुंचाने की बड़ी-बड़ी बात की जा रही है। एक जमाने में विश्वसनीय और अब पार्सल के माध्यम से कई देशों तक सामग्री पहुंचा रहे डाक विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह विभाग अब चिटठी बांटने तक ही सीमित नहीं है। विभाग के बड़े अफसरों को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाना होगा क्योंकि जिस तरह तकनीकी अपने पैर जमा रही है उससे युवाओं की सोच बदल रही है। वो खर्च की चिंता नहीं करते इसलिए सरल व आधुकिन सुविधा चाहते हैं। यह भी सोचते हैं कि कोई उनसे दुर्व्यवहार ना करे। इस बात को ध्यान में रख पीएम की भावनाओं के तहत सेवाएं उपलब्ध कराएं जो अफसर अभी नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुविधा देने का दावा डाक विभाग कर रहा है लेकिन डाक खानों में नागरिकों के बैठने पेयजल व हवा की भी व्यवस्था की जाए और प्रणाली को सरल बनाए ना कि उपभोक्ताओं का परेशान किया जाए। हम कितना ही कह लें लेकिन दावों पर अमल की व्यवस्था अभी पूरी नहीं है। घंटाघर स्थित डाकखाना जो बंद पड़ा है विभाग ना तो अभी उसे सही करा पाया है ना किसी और डाकखाने में काम कराने की सुविधा दी है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैंकिंग बीमा निवेश सहित ७६ सेवाएं देने के जो दावे किए जा रहे हैं उनके साथ सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डाक विभाग के अधिकारी दावे ही नहीं ग्राहकों को सेवाएं भी उपलब्ध कराएं
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