हर आदमी को सुविधा से आवागमन व शहर व गांव देहात का विकास के लिए केेंद्र व प्रदेश सरकारें नई नीतियां बना रही हैं और अफसरों को जिम्मेदारियां ताकत व पैसा दिया जा रहा है। सरकार तो हमेशा ही यह कहती रही है कि तालाबों पर कब्जा करने वालों, सरकारी जमीन बेचने वालों, अवैध कॉलोनी काटने वालों पर कार्रवाई की जाए। ऐसा क्यों नहीं हो रहा यह तो करने कराने वाले ही जान सकते हैं लेकिन फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में सार्वजनिक भूमि, तालाबों पर कब्जे को लेकर गंभीर निर्णय लिए जिसके तहत जलाश्यों ताालाबों व सरकारी भूमि सहित फुटपाथ को अतिक्रमण से मुक्त कराने में असफल प्रधान लेखपाल व अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अतिक्रमणकारियों पर जुर्माना लगाने की भी बात कही गई है। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की एकल पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि अतिक्रमण हटाने में विफल अधिकारियों व भूमि प्रबंधन के सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाए। झांसी निवासी मुन्नीलाल की जनहित याचिका पर कोर्ट ने २४ पेज के अहम आदेश में सड़कों रास्तों का अतिक्रमण हटाने और जीरों टोलरेंस नीति का पालन करने की बात कही गई है। यह काम ९० दिन में पूरा करने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस अधिकारी अतिक्रमण हटाने में राजस्व अफसरों का पूर्ण सहयोग दें व आयुक्त व डीएम सहित अफसर प्रतिवर्ष अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई व दोषियों पर कार्रवाई से मुख्य सचिव को अवगत कराए।
सरकार व उच्चधिकारी हमेशा इस तरह के आदेश करते रहे हैं और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मगर जितना देखने को मिलता है ऐसे आदेशों का पालन कराने वाले अपना बैंक बैंलेंस बढ़ाने सुविधा जुटाने में ज्यादा लगे रहते हैं। अदालत का आदेश देश प्रदेश के हित का है सरकार एवं हाईकोर्ट अपने आदेशों का पालन कराना भी सुनिश्चित करे। मुझे लगता है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी तब तक आम आदमी को यह सुविधाएं आसानी से नहीं मिल पाएंगी
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी ! 90 दिन में सरकारी भूमि तालाब और फुटपाथ कब्जा मुक्त कराने जैसे आदेश लागू भी कराए जाएं
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