प्रकृति की देन पेड़ हरियाली, पहाड़, पानी, हवा और कभी कभी अग्नि भी समयानुकुल हमारी अच्छी सेहत के लिए बिना नुकसान पहुंचाये मदद करती है। पहले तो हम घर में ही बड़े बुजुर्गों के नाम से इस बारे में सुना करते थे कि सुबह की सैर को जाओं ताजी हवा खाओ शुद्ध पानी पीयो और प्रकृति के निकट रहकर समय बिताओं को आसानी से कोई भी बीमारी निकट आने वाली नहीं है लेकिन अब तो इस बात को हमारा शिक्षा और चिकित्सा जगत भी मान चुका है क्योंकि अमेरिकी फोरेस्ट सर्विस पेंनसिल्वेनिया विवि और उत्तरी कोरोलिना यूनिवर्सिटी ने मिलकर एक अध्ययन किया और उसके बाद अब तक सात हजार से ज्यादा मरीजों के लिए डॉक्टरों द्वारा यह विधि स्वस्थ रहने के लिए लिखी गई है। बताते हैं कि आस्ट्रेलिया ब्राजील कैमरून स्पेन के डॉक्टर इसे अपना चुके हैं तथा २०१९ से अब तक इन चीजों को अपने पर्चे पर लिखकर नागरिकों को स्वस्थ रहने की सलाह दे चुके हैं। पार्क आरक्स अमेरिका नामक संगठन ने डॉक्टरों को निर्देश दिया है कि मरीजों को बाहर समय बिताने और प्रकृति से जुड़ने की सलाह दी जा रही है। कितनें ही लोगों ने इस बारे में अपने अनुभव जारी करते हुए कि प्रकृति में समय बिताने से उनका मन हल्का होता है और वह अच्छा महसूस करते हैं क्योंकि तनाव कम होता है। बतातें है कि इससे रक्तचाप कम होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। शायद इसीलिए भारत में संन्यासी और साध़ु संत प्रकृति में रहकर शांति प्राप्त करते थे। लेकिन अब शहर के ज्यादातर लोग तनाव में रहते हैं। इसका कारण यह भी हो सकता है कि धीरे धीरे शहरों की बढ़़ रही आबादी और आवास की व्यवस्था पेड़ कटने और प्रकृति को अपने से दूर करने का कारण बन रही है।
मेरा मानना है कि हमें एक तो विभिन्न कारणों से निष्प्राण हो रहे पेड़ों की देखभाल चिकित्सीय द़ष्टि से करते हुए इस व्यवस्था को कायम रखने के लिए सक्रिय होना चाहिए। बताते हैं कि ब्रिसलकोन पाइंस नामक वृक्ष चार हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। लाजपोल यह अन्य पेड़ों का जीवन काल २० से २०० साल होता है। तथा कवक एक पेड़ से दूसरे पेड़ में पोषक तत्व स्थानांतरित करते हैं। जो इस बात का प्रतीक है कि अगर हम इनकी देखभाल करें तो बिसलकोन पाइन्स नामक पेड़ हमारी चार पांच पीढ़ि़यों को प्राकृतिक व्यवस्था उपलब्ध करा सकता है और जिस प्रकार से कवक एक पेड़ से दूसरे पेड़़ को पोषण स्थानांतरित करते हैंं तो हम इस विधि से पेड़ों को बचाने की कोशिश करें तो वो हमें ताजी हवा और जीवन को बढ़ाने का काम भी करते हैं। ग्रामीण कहावत एक पेड़ दस पुत्रों के समान होता है को ध्यान से रखकर सोचें तो इनके मरने के बाद भी इसकी लकड़ी काम आती है। उसकी जगह नए पेड़ उगते हैं। कहने का आश्य है कि द कन्वेशसन के माध्यम से प्राप्त कुछ आंकड़ें को हम अपनी तरफ से भी विस्तार दें जो नीम पीपल बरगद हमें अगर ताजी हवा देते हैं तो अमरूद जामुन नींबू आंवला के पेड़ हमें स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुल मिलाकर कहने का आश्य है कि जिस प्रकार से बढ़ रही बीमारियां से दवाई हमें छुटकारा दिला रही है चाहे वह आयुर्वेदिक हो या यूनानी होम्योपैथिक हो या एलोपैथिक लेकिन सिर्फ थोडा समय प्रतिदिन खर्च कर हम नए पेड़ उगा सकते हैं और इनकी छाया में बैठकर प्रकृति का सानिध्य प्राप्त कर खुशहाल जीवन जी सकते हैं। तो आओ सरकार की वृक्ष लगाओं हरियाली पाओं के तहत परिवार के प्रत्येक सदस्य के नाम पर वृक्ष लगाकर प्राकृतिक ऊर्जा और साफ हवा में सांस लेने और हर प्रकार के पेड़ों को उत्पादित करने के साथ साथ उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दें। क्योंकि भगवान ने हमें सबसे महत्वपूर्ण मानव जीवन दिया जिसमें बेहिसाब सोचने और रचनात्मक कार्यों को करने तथा खुद स्वस्थ रहने और पड़ोंसी को भी इसका लाभ पहुंचा सकते हैं। थोडा प्रयास ये भी करना होगा कि वर्तमान में खेतों में किसी प्रकार से प्लास्टिक ना तो जमीन में दबने दें ना घुलने दें क्योंकि जमीन में यह अपना घर बना लेते हैं तो ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के अनुसार यह काफी नुकसानदायक सिद्ध हो सकते हैं। इसलिए इन्हें धरती से दूर रखें और ऑर्गेनिक सब्जी और फलों का उत्पादन बढ़ाकर हम अपने स्वास्थ्य को और मजबूत कर सकते हैं। क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत में लगभग ४१ लाख टन प्लास्टिक कचरे का कुछ प्रतिशत भी उपजाऊ भूमि में जाता है तो वह बीमारी को बढ़ावा देने का स्त्रोत बन जाता है इसलिए संकल्प लीजिए की अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रकृति का सेवन हम खुद भी करेंगे और पड़ोसियों को भी साथ ले जाएंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पेड़ों से उत्पन्न हरियाली और इससे मिलने वाली ऊर्जा और प्रकृति की हमें देती है अच्छी सेहत का वरदान, प्लास्टिक को जमीन में ना जानें दे और पेड़ों की सुरक्षा करें यह बात कई पीढ़ियों को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते हैं
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