ग्रामीण कहावत ज्यों ज्यो दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान अगर वर्तमान में देखें तो दुनिया के सबसे ताकतवर स्तंभ सभी प्रकार के मीडिया पर सही उतरती है। जहां तक मुझे लगता है इसके लिए खुद हम पूरी तौर पर दोषी हैं। क्योंकि हमारे पूर्वजों ने जो मिशनरी पत्रकारिता के दृष्टिकोण से हमें समाज की कुरीतियां दूर करने और अन्य प्रकार के समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले मुददों को समाप्त करने की ताकत अपनी लेखनी और शब्दों के माध्यम से हमें दी है वो महत्वपूर्ण है। आज हो सकता है मैं गलत हूं लेकिन ९० प्रतिशत प्रिंट इलैक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया से जुड़े लोग इसे तो भूल ही चुके हैं अपनी ताकत को भी नही पहचान पा रहे हैं।
कहते हैं कि जो अपनी परंपराएं संस्कृति और बुजुर्गों को किसी भी प्रकार से भूलने लगते हैं समाज में उनका मान सम्मान प्रगृति और ताकत भी घटने लगती हैं। इसके उदाहरण के रूप में हम २५ मार्च १९३१ को कानपुर में एक संप्रदायिक दगे के दौरान शांति का प्रयास करते हुए दंगाईयों का शिकार होकर हमें छोड़ गए गणेश शंकर विद्यार्थी जी को हम अब ३० मई हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर एक दो समारोह में उनके प्रसंग सुनाकर उनके बारे में बिल्कूल ही भूल जाते हैं। अभी बीते दिनों इस महान पत्रकार और पत्रकारिता को दिशा देने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी की जौनपुर में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी और लक्ष्मीबाई बिग्रेड के कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की । बिग्रेड के अध्यक्ष मनजीतन कौर ने कहा कि जाने माने पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म २६ अक्टूबर १८९० में इलाहाबाद अब प्रयागराज में हुआ। उन्होंने कानपुर में करेेंसी क्लर्क तथा शिक्षक के रूप में जीवन की यात्रा शुरू की और बाद में पत्रिका कर्मभूमि और स्वराज में लिखना शुरू किया। वह महात्मा गांधी जी के संपर्क में आए और आजादी के लिए खुद को समर्पित कर दिया। १९२० में उन्होंने दैनिक प्रताप समाचार पत्र शुरू किया और हिंदु मुस्लिम एकता के लिए काम करने लगे लेकिन कुछ दंगाईयों की खराब मानसिकता के चलते वह हमें छोड़कर बैंकुंठ घाम चले गए।
मेरा मानना है कि मीडिया के प्रेरणास्त्रोत व्यक्तित्व गणेश शंकर विद्यार्थी के सिद्धांतों और उददेश्यों को जिंदा रख हम अपनी गौरवगाथा और सम्मान कायम रख सकते हैं। मेरा ऑल इंडिया न्यूजपेपर एसोसिएशन आईना सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए और भारतीय भाषा समाचार पत्र संगठन इलना आदि के पदाधिकारियों से आग्रह है कि वह गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता को आगे बढ़ाएं। यह मैं और पाठक जानते हैं कि वर्तमान में मिशनरी पत्रकारिता ंसंभव नहीं है लेकिन अपनी व्यवस्था बनाए रखते हुए हम जितना पूर्वजों के मार्ग पर चल सकें उसे चलना चाहिए यह हमारा फर्ज भी है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
ऑल इंडिया न्यूजपेपर एसोसिएशन, सोशल मीडिया एसोसिएशन, भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन इलना हर साल गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जयंती मनाने ?
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