मेरठ 05 नवंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। अक्टूबर माह के आखिरी सप्ताह में भैंसाली मैदान में श्री चिन्मयानंद बापू जी महाराज की हुई कथा के चलते शहर में एक हफ्ते से धार्मिक ब्यार सी बहती रही। भाजपा नेता 15 साल तक सांसद राजेन्द्र अग्रवाल जी के प्रतिनिधि रहे हर्ष गोयल और उनके सहयोगियों के प्रयासों से हुई कथा को लेकर उसकी सफलता के लिए आयोजकों को धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत नागरिकों द्वारा खूब बधाई दी गई इस सफल आयोजन के लिए। लेकिन प्रतिदिन कथा में पहुंचने वाले कुछ भक्तों और अन्य का यह मत है कि अगर सहयोगी थोड़ा सा प्रयास और करते तो यहां भक्तों की भीड और बढ़ सकती थी। कई का मानना है कि मुख्य यजमान अमित गर्ग मुर्ति ने जिस भावना और मनसा से इस आयोजन में मुख्य यजमान के रूप में भाग लिया अगर उसी से वो और उनके साथी प्रयास करते तो अपनी मंशा में चिन्मयानंद बापू जी महाराज के आशीर्वाद से सफलता के निकट पहुंच सकते थे। क्योंकि पूर्णतया तो भगवान और जो उनकी मंशा बताई जा रही है उसे पूरा करने वाले लोग ही जान सकते है। लेकिन कई जागरूक नागरिक धार्मिक आयोजनों में बढ़चढ़कर भाग लेने वालों का कहना है कि उन्होंने जो सपना देखा वो क्या था यह तो हम नहीं कह सकते वो ही जान सकते है मगर चर्चाओं में जो बात उभर रही है उसे ध्यान में रखकर इनका कहना है कि एक फिल्मी गीत दिल के अरमां आंसुओं में बह गये इनके ऊपर बिलकुल सही फिलहाल नजर आ रहे हैं क्योंकि बड़ी तादाद में श्रद्धालु क्यों नहीं पहुंच पाए कथा स्थल तक यह समीक्षा का विषय हो सकता है। मगर लोगों का कथन कि जितने नाम 400 कार्ड पर छपे थे अगर वो 100-100 लोगों को कथा स्थल तक पहुंचाते तो भक्तों का एक बड़ा समूह वहां इक्ट्ठा हो सकता था। क्योंकि चिन्मयानंद बापू के प्रति नागरिकों में श्रद्धा और हर्ष गोयल व उनके सहयोगियों के प्रयासों से पहली बार 24 अक्टूबर को शहर में महिलाओं की ऐतिहासिक कलश यात्रा निकली। बताते है कि इस आयोजन में एक स्कूल के संस्थापक व चेयरमैन भी भागीदार थे। मगर वो भी भक्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं करा पाए। अगर थोड़ा सा प्रचार प्रसार इनके द्वारा किया गया होता तो इनके लगभग आधा दर्जन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या के हिसाब से आधे अभिभावक भी आते तो शायद अमित मूर्ति का नागरिकों के कहे अनुसार अनकहे रूप में किये जा रहे प्रयासों से जनप्रतिनिधि और उम्मीदवार बनने का सपना भले ही पूरा ना होता मगर इसके निकट तो वो पहुंच ही सकते थे। ऐसा क्यों नहीं हुआ यह तो आयोजक या भगवान ही जाने। कहने वाले तो कह रहे है हम तो उसी को दोहरा रहे है। (प्रस्तुतिः- घुमंतू संवाददाता)
अमित मूर्ति पर सही उतरता लग रहा है दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
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