डेमोक्रेटिव पार्टी के उम्मीदवार के रूप में न्यूयार्क सिटी से भारतीय मूल के जोहरान ममदानी दुनिया के सबसे अमीर कहे जाने वाले न्यूयार्क से चुनाव जीते की ही चर्चा हो रही है। १९९१ को युगांडा के कंपाला में १८ अक्टूबर को भारतीय मूल की मीरा नायर और भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक महमूद जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है के यहां उनका जन्म हुआ। ममदानी ने इस साल की शुरूआत में सीरियाई आर्टिस्ट रामा दुवाजी से शादी की और अब न्यूयार्क जैसे शहर के मेयर बन २०१८ में अमेरिकी नागरिकता मिलने के बाद एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। उन्होंने ट्रंप समर्थक कुओमो को हराकर यह स्थान प्राप्त किया। दुनिया की वित्तीय राजधानी की बागडोर वो अगले साल जनवरी में संभालकर वहां के सबसे युवा १११वें मेयर की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनकी जीत का जश्न डेमोक्रेटिव पार्टी द्वारा मनाया जा रहा है। न्यूयार्क का मेयर पद जीतने के बाद बीते मंगलवार रात को ब्रुकलीन में आयोजित चुनावी रैली में अपनी पत्नी एवं मां मीरा नायर और पिता के साथ शामिल हुए। उनके भाषणों में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जिक्र भी किया गया है। बताते हैंं कि उनकी जीत को रोकने के लिए अरबपतियों ने करोड़ों खर्च किए और वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो उनकी खुली मुखालफत कर ही रहे थे। परिणामस्वरूप अपने भाषणों में ममदानी ने ट्रंप को चुनौतियां भी दी। लेकिन सबकुछ होने के बाद अपने युवा प्रत्याशी को चुनाव जीताकर न्यूयार्क वालों ने ममदानी को मेयर बना ही दिया। अपनी जीत का श्रेय उन्होंने अपने मां बाप को देते हुए कहा कि आज मैं जो भी हूं माता पिता की वजह से हूं। ममदानी ने एक खबर के अनुसार अपने भाषण में कहा कि मैं मुस्लिम हूं अप्रवासी हूं और इसके लिए माफी नहीं मांगूगा। १११ साल बाद न्यूयार्क को ममदानी के रूप में युवा भारतीय मूल का मिला। मेयर ममदानी का कहना है कि वो कामकाजी लोगों के लिए लड़ेंगे। भारतीय अमेरिकी समुदाय द्वारा उनकी जीत का स्वागत किया जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि हालात बिगड़ेंगे लेकिन न्यूयार्क की जनता की खुशी देखकर लगता है कि बहुत कुछ अच्छा होने वाला है। कुछ नागरिकों का कहना है कि यह जीत उतनी भी महत्वपूर्ण नहीं है। न्यूयार्क के मेयर पद की जीत को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। ममदानी इससे ऊपर नहीं जा सकते। मगर कई भारतीय लेखकों का मानना है कि ममदानी की जीत लोकतांत्रिक वाम विचारधारा की जीत का संकेत देती है मगर यह तीसरी दुनिया के देशों के समाजवाद से बिल्कुल अलग है। कई लोग इसे मुफ्त की राजनीति जिसे कभी दिल्ली के सीएम केजरीवाल की पहचान कहा गया था। अब न्यूयार्क के मेयर को उसमें शामिल कर फ्री ट्राजिट फ्री हाउसिंग टैक्स लुभावने वादों की पहचान बताया जा रहा है। मेरा मानना है कि राजनीति में जो जीता वो सिकंदर कहलाता है। इस दृष्टि से विचार करे तो फिलहाल न्यूयार्क के 111वें मेयर के रूप में मदनानी ने जो सफलता का परचम फहराया है वो महत्वपूर्ण है। इनके पास ना खुद का घर है ना कार। यह रोजाना मेट्रो ट्रेन से सफर करते हैं। उन्होंने २०२० में न्यूयार्क स्टेट असेंबली का चुनाव भी जीता था। यह सब बातें एक ईमानदार नेता को राजनीति के शिखर तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका की ओर ले जाती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि चुनाव के दौरान ममदानी ने फिल्म दीवार के डायलाग से समां बांधा कि आज तुम्हारे पास गाड़ी है प्रॉपर्टी है बैंक बैलेंस है मेरे पास जनता का समर्थन है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि न्यूयार्क जैसे शहर का मेयर बनना बड़ी उपलब्धि ममदानी के लिए तो है ही भारतीयों के लिए भी एक मौका है कि हमारे युवा दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का परचम फहरा रहे हैं। ममदानी की जीत पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी खुशी जताई है जिससे यह कह सकते हैं कि उनका राजनीतिक भविष्य अच्छा रहेगा। धन संपत्ति ना जुटाकर समर्थक जुटाने में सफल ममदानी मेयर पद पर जीत उन ईमानदार नेताओं के लिए प्रेरणा बनेगी जो यह सोचते हैं कि बिना धन और सुविधा के आगे कैसे बढ़ेंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
संपत्ति और सुविधा की बजाय समर्थक जुटाने में सफल कई बाधाओं को पार कर ममदानी न्यूयार्क के मेयर बन ही गए
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