लखनऊ 25 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में बिना पंजीकरण’ के संचालित मदरसों को शिक्षा विभाग की नोटिस और प्रति दिन 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बेसिक शिक्षा विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार की जमकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार ही इन मदरसों को मान्यता नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मदरसों को बंद करने की शाजिस कर रही है। कभी मदरसों की जांच करने के नाम पर कभी फंडिंग के नाम पर मौलानाओं को जेल भेजन के नाम पर डरा धमका रही है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हम कोर्ट में अपील करेंगे।
मौलाना शहाबुद्दीन ने गैर-पंजीकृत मदरसों का बचाव करते हुए कहा कि असल में सरकार ही इन मदरसों को मान्यता नहीं दे रही है। जांच के नाम पर मदरसा संचालको को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि हम सरकार के फैसले का विरोध करेंगे। इसके लिए हम कोर्ट भी जाएंगे।
बता दें कि बिना ‘उचित पंजीकरण’ के संचालित एक दर्जन से अधिक मदरसों को नोटिस जारी कर दस्तावेज दिखाने को कहा गया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मदरसों को नोटिस जारी किए जाने को गैरकानूनी करार देते हुए इसका विरोध किया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि अगर ऐसे मदरसे खुले पाए गए तो इन पर प्रतिदिन 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसे हैं। इनमें 16,000 से अधिक मान्यता प्राप्त और 8,000 से ज्यादा गैर-मान्यता प्राप्त हैं। जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने कहा कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के दफ्तर ने उनके कार्यालय को सूचित किया है कि जिले में संचालित 100 से अधिक मदरसों के पास पंजीकरण या मान्यता नहीं है और वे मानदंडों के खिलाफ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में एक दर्जन से अधिक मदरसों को नोटिस भेजा गया है जिसमें नोटिस मिलने के तीन दिन के भीतर संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है और ऐसा न होने पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर मदरसे बिना मान्यता के संचालित पाए गए तो उन पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मदरसों को नोटिस जारी किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे गैरकानूनी करार दिया है। संगठन की उत्तर प्रदेश इकाई के सचिव मौलाना जाकिर हुसैन ने कहा कि एक खास समुदाय को निशाना बनाकर मदरसों को अवैध नोटिस जारी कर परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मदरसे छात्रों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं और वे प्रतिदिन 10,000 रुपये का जुर्माना नहीं भर सकेंगे।