अन्य बीमारियों की तरह मिर्गी भी जिन्हें है उनके लिए वो बड़ी परेशानियों का कारण है। यह बीमारी एक प्रकार से मानसिक रोग भी कह सकते हैं क्योंकि मिर्गी रोगियों को बार बार दौरे पड़ने और उनका संतुलन बिगड़ जाने व लडखड़ाकर गिरकर शरीर का अकड़ जाना इसकी पहचान बताते हैं लेकिन चार पांच मिनट बेहोश रहने के बाद मरीज ठीक हो जाता है। जानकारों का मानना है कि दोैरा पांच मिनट से ज्यादा का हो तो मरीज को अस्पताल ले जाएं वो आधा घंटा में चिकित्सा मिलते ही ठीक हो जाएगा। मिर्गी आते ही मरीज को समतल स्थान पर करवट लेकर लिटा लें ताकि मुंह में जमा लार और झाग निकल जाए। एक खबर के अनुसार हर माह अस्पतालों में साठ से सत्तर मरीज पहुंचते हैं लेकिन गांव देहातों में इस बीमारी को उपरी हवा या अन्य नाम देकर जो जूता या मौजा संुघाने की कुछ लोग कोशिश करते हैं उससे बचना चाहिए क्योंकि मरीज तो पांच मिनट में ठीक हो जाता है लेकिन जूता सुंघाने से उसे दूसरी बीमारी होने की संभावना रहती है। अत्याधिक नशीले पदार्थों का सेवन तनाव, मानसिक सदमा भी इसका कारण हो सकता है। इस बीमारी के इलाज के लिए दवाई मौजूद हैं। अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ता है तो उसे निकट के अस्पताल ले जाए और अंधविश्वास में ना पड़कर उसका इलाज कराए तो इसके मरीज ठीक हो सकते है। यह बीमारी लाइलाज नहीं है। इसके रोगियों को गाड़ी चलाने और अकेले लंबी दूरी पर जाने से बचना चाहिए।
दोस्तों आज हम अन्य बीमारियां की भांति जागरूकता के दृष्टिगत मिर्गी दिवस मना रहे हैं। आओ कही किसी को यह बीमारी है तो उसे इलाज कराने के लिए प्रेरित करे और किसी को दोरा पड़ता है तो उसे खुद डॉक्टर के यहां ले जाने और किसी अन्य को प्रेरित करने से नहीं चूकना चाहिए। यह बीमारी खतननाक तो नहीं है लेकिन कब कौन इससे पीड़ित हो जाए यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। डॉक्टर से इसके बारे में सलाह कर दवाई खाएं और मिर्गी से छुटकारा पाए।
मिर्गी दिवस पर विशेष! लाइलाज नहीं है मिर्गी, अंधविश्वास से बचें इसके मरीज, जूता या मौजा सुंघाने से बचें डॉक्टर की सलाह लें
Share.