Friday, November 22

त्योहारों पर यात्रियों को वाहन उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद नागरिकों को अपनों से मिलने को क्यों होना पड़ता है परेशान

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आज से देशभर में चार दिवसीय छठ पर्व पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार नहाय खाय भावना से शुरू हो गया। छठ पर्व हो या दीपावली होली हो या दशहरा व भाईदूज या अन्य कोई पर्व नागरिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए बस रेल गाड़ियों की व्यवस्था के दावे सरकार और संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा किए जाते रहे हैं। बताते चलें कि देशभर से नागरिक व्यापार नौकरी या अन्य काम से बाहर जाने वाले इन त्योहारों पर परिवार से मिलने त्योहार मनाने के लिए अपने घर जाते हैं। मगर यह बड़े ताज्जुब की बात है कि अधिकारी घोषणा यात्रा को सुविधाजनक बनाने की करते हुए इतने वाहनों में बढ़ोत्तरी की गई के दावे किए जाते हैं मगर हर बार जहां तक दिखाई दे रहा है यह ढोल की पोल के समान ही साबित होते हैं। बीते दिनों 15 नवंबर को भाईदूज पर भाईयों को टीका करने या बहनों से मिलने आने में एक दूसरे को कितनी कठिनाई हुई होगी उसका अंदाजा सड़कों पर भीड़ और रेल व बस अडडों पर खिड़की से अंदर चढ़ने का प्रयास करते नागरिकों को देखकर लगाया जा सकता है। आज से शुरू हुए छठ पर्व पर बिहार छत्तीसगढ़ को जाने वाले को कई कठिनाईयां हुई इसकी समाचार पत्रों में खूब पढ़ने को मिले। इस मौके पर हवाई यात्रा भी महंगी हुई। मनमानी तारीख और समय पर रिजर्वेशन नहीं हो पाया। प्राईवेट कारें जो टैक्सी के रूप में चलाई जाती है या अधिकृत रूट पर चलती है वो भी आसानी से उपलब्ध नहीं थी। अघोषित रूप से इनके किराए भी बढ़ा दिए गए थे।
जब भी कहीं त्योहारों और उत्सवों की बात होती है तो सबसे पहले अपने देश का नाम लिया जाता है। लोग कहते हैं कि यहां साल के हर दिन कोई ना कोई त्योहार है। इसलिए त्योहारों के बारे और यात्रियों को ले जाने वाले वाहनों की उपलब्धता कितनी होनी चाहिए इसके बारे में सरकार और अफसरों को अंदाजा आसानी से होना चाहिए लेकिन फिर भी हर त्योहार पर यात्रियों को अपनों से मिलने जाने के लिए परेशानियां उठानी पड़ती है आखिर क्यों। मेरा मानना है कि रेल मंत्री परिवहन विभाग और प्रदेशों के ट्रांसपोर्ट मंत्रालयों के मंत्रियों और अफसरों को इतना तो पता होना चाहिए कि कितने यात्री जाएंगे और कितने वाहनों की आवश्यकता पड़ेगी। कभी कभी तो इतने सालों बाद भी उनकी असफलता को देखकर लगता है कि यह सिर्फ दावे ही करते हैं उसके हिसाब से व्यवस्था नहीं। पीएम मोदी हर व्यक्ति को जरूरी सुविधाएं और साधन उपलब्ध करानेे के लिए प्रयासरत है। मेरा उनसे और सभी जिम्मेदार अफसरों से अनुरोध है कि वो दावे और घोषणाएं करने की बजाय अगर हर त्योहार का इतिहास उठाकर हुए आवागमन को दृष्टिगत रख तैयारियां करें तो शायद कठिनाईयां ना आएं जो यात्रियों के समक्ष आती है।

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