मुख्यमंत्री जी ध्यान दें
आयुष्मान कार्ड धारकों को नर्सिंग होम संचालक नहीं दे रहे पूर्ण सुविधा, कराए गोपनीय जांच, सीएमओ आदि के खिलाफ हो कार्रवाई
सरकार द्वारा देशवासियों को सस्ती व सुलभ चिकित्सा सुविधा व जरूरतमंदों को सामान आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उपलब्ध कराने की हर संभव कोशिश की जा रही है। पहले तो हर पात्र व्यक्ति का यह कार्ड ही नहीं बन पाया है क्योंकि जिस समय की जनगणना के हिसाब से यह बनाए गए उस समय लोग इसके लिए सब जागरूक नहीं थे और अब जो बनाए जा रहे हैं उनकी शर्ते पूरी कर पाना आसान नहीं लगता। लेकिन जो लोग पात्रता के दम पर आयुष्मान कार्ड बनवाने में सफल हैं उन्हें भी मौखिक सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आसानी से पूरा इलाज आयुष्मान कार्ड के हिसाब से नहीं मिल पा रहा है। कुछ नर्सिंग होमों के संचालकों ने इसे कमाई का माध्यम बना लिया है और कोरोना और उसके बाद खबरों से को देखकर कहा जा सकता है कि फर्जी तरीके से मरीजों की भर्ती दिखाकर सरकार से वसूली किए जाने की संभावनाएं से इनकार नहीं किया जा सकता। मजे की बात यह है कि कुछ नर्सिंग होमों ने आयुष्मान कार्ड के तहत क्या क्या इलाज और सुविधाएं मिलेगी अपनी गेट के बाहर बोर्ड लगवा रखे हैं लेकिन इसमें मिलने वाले लाभ पात्र व्यक्ति को दिए नहीं जा रहे। और कुछ अवैध रूप से सरकारी भूमि घेरकर निर्मित नर्सिंग होमो के संचालकों को यह बताया ही नहीं जाता कि उन्हें क्या क्या इलाज फ्री मिलेगा। मगर पैसे किस चीज के देने पड़ेंगे यह बताने में नहीं चूकते हैं। मुख्यमंत्री जी प्रदेश की सरकार हर आदमी को इस सुविधा का लाभ देने के लिए बजट उपलबध करा रहे हैं लेकिनन जिलों में तैनात सीएमओ क्योंकि पूर्ण रूप से घरों से ही नहीं निकलते और मरीजों से वार्ता नहीं करते इसलिए आयुष्मान कार्ड में कई नर्सिंग होम संचालक अधिकारियों से मिलकर घोटाला करने में नहीं चूक रहे हैं। अभी पिछले दिनों एक जनपद में एसडीएम द्वारा शिकायत मिलने पर जब छापामारी की गई तो वहां कई तरह की कमियां मिली। लेकिन मुक्तभोगियों का कहना है कि सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने अपने आप को बचाने के लिए लिपापोती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आजकल एक चर्चा विशेष रूप से है कि जब कोई गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति आयुष्मान कार्ड से इलाज के लिए अस्पतालों में जाता है तो उससे खाने और बेड के पैसे तो लिए ही जाते हैं यह भी कहा जाता है कि ऑपरेशन के पैसे देने पड़ेंगे और डॉक्टर का भुगतान करना पड़ेगा। अगर किसी का एक्सीउेंट हो गया तो प्लेट और रॉड उसी से मंगवाई जाती है। मरीज को डॉक्टर नुकसान ना पहुंचा दे इस डर से अभिभावक कुछ नहीं बोलते और इस डर से नर्सिंग होम संचालको की पैसा कमाने की भूख शांत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी और उपमुख्यमंत्री जी अपने प्रदेश और जिला स्तर के स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों की डयूटी लगाईये कि वो आयुष्मान ही नहीं सरकार की सभी सुविधाओं के तहत जरूरतमंदों को इलाज उपलब्ध करा रहे हैं या नहीं और कभी कभी यह जांच गोपनीय रूप से भी होनी चाहिए। क्योंकि जब सरकार पैसा खर्च कर ही रही है तो जनता को सुविधा भी मिलनी चाहिए क्योंकि है तो यह सब नागरिकों के टैक्स के दम पर ही। इस काम में कोताही करने वाले अधिकारियों नर्सिंग होम संचालकों के साथ साथ सीएमओ के खिलाफ भी हो कार्रवाई।
मुख्यमंत्री जी ध्यान दें आयुष्मान कार्ड धारकों को नर्सिंग होम संचालक नहीं दे रहे पूर्ण सुविधा, कराए गोपनीय जांच, सीएमओ आदि के खिलाफ हो कार्रवाई
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