मेरठ, 18 मई (प्र)। अशोका लीलैंड की जगह पर महिंद्रा कंपनी के दस हाईवा ट्रक की खरीद में हुए फर्जीवाड़े का मामला तूल पकड़ गया है। जांच में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने जांच अधिकारियों का स्पष्टीकरण मांग बाद नगर निगम ने टेंडर निरस्त करने और हाईवा ट्रक वापस करने की बात कही है। नगर आयुक्त ने भी निगम के अधिकारियों से आख्या मांगी है।
नगर निगम ने तीन करोड़ 18 लाख कीमत से 10 हाईवा ट्रक खरीदे हैं। जैम पोर्टल पर खरीद के बाद भी टेंडर में अनियमितता हुई। निगम के एक अधिकारी ने ड्राइंग बनाकर हस्ताक्षर करके महिंद्रा कंपनी को दिए हैं, जिसके बाद छह महीने से ट्रक नगर निगम के सरस्वती लोक स्थित डिपो में खड़े हैं। आरोपी अधिकारी को समिति में शामिल कर जांच अधिकारी बनाने का काम भी नगर निगम ने किया है। जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार मान लिया, लेकिन आरोपी अधिकारी का नाम नहीं लिखा। इसकी पोल खुलने पर शुक्रवार को नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा ने निगम के अधिकारियों को फटकार लगाई और जांच रिपोर्ट की पूरी आख्या मांग ली।
छह महीने से निगम के डिपो में खड़े ट्रक
नगर निगम के डिपो में छह महीने से हाईवा ट्रक खड़े हैं। डिपो प्रभारी से लेकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका को लेकर अलग- अलग चर्चा है। भाजपा के पार्षदों ने अधिकारियों पर हाईवा ट्रक की खरीद में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। इस महापौर ने कार्यकारिणी की बैठक में अधिकारियों से जवाब मांगा था। इसके बावजूद लीपापोती करने वाली जांच दो कमेटी ने की। इसमें भ्रष्टाचार होना तो माना, लेकिन आरोपी का नाम जांच रिपोर्ट में नहीं लिखा। इस मामले को लेकर जांच अधिकारियों पर सवाल उठ रहे है। हरिकांत अहलूवालिया, महापौर का कहना है कि 6 तीन महीने पहले यह मामला उठाया था। जांच अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। चार अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया। टेंडर निरस्त होगा, ट्रक वापस होंगे। नगर आयुक्त को पत्र लिख दिया है। तीन-चार दिन में कार्रवाई भी कराएंगे।
डॉ. अमितपाल शर्मा, नगर आयुक्त का कहना है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जांच के लिए दो कमेटी बनी। एक की रिपोर्ट आई है। इसका आकलन हो रहा है। हाईवा ट्रक देने वाली कंपनी का अभी भुगतान नहीं किया है। लापरवाही पर कार्रवाई होगी।