विमान के पहियों के पास फंसी जिंदगी ९४ मिनट की यात्रा पूरी कर १४ साल का बच्चा काबुल से दिल्ली पहुंच जाता है। और हवाई अडडा अथॉरिटी और सुरक्षाकर्मियों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती। यह कितनी बड़ी लापरवाही है इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है।
१४ साल का बच्चा अफगानिस्तान से चलकर ईरान जाना चाहता है और सबकी निगाह बचाकर यात्रियों की गाड़ी के पीछे काबुल एयरपोर्ट में घुसकर विमान के पहियों में छिप गया और वहां जाने के बजाय भारत आ गया। किशोर को उसी विमान से वापस काबुल भेज दिया गया। इस बच्चे के साहस और धैर्य की तो प्रशंसा की ही जानी चाहिए कि वो पहियों के हिस्से में जहां तापमान माइनस ५० डिग्री तक पहुंच सकता है वहां बैठकर यात्रा कर आसमान में दस हजार फुट की ऊंचाई और कम ऑक्सीजन में भी वह सही सलामत रहा। इसके लिए विशेषज्ञों को इसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए क्योंकि इतना बड़ा जोखिम और ९४ मिनट की यात्रा कर सुबह दिल्ली पहुंच गया। उसे यह नहीं पता था कि वह कहां जा रहा है। यह भारतीय हवाई प्राधिकरण के अधिकारियों की सहृदयता है कि जिस विमान से वह आया उसी से उसे वापस भेज दिया गया। लेकिन इससे हटकर अगर देखें तो यह काबुल हवाई अडडा प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही भी हो सकती है क्योंकि यह तो मासूम बच्चा था। इस प्रकार तो आतंकवादी भी कहीं से कहीं भी पहुंच सकते हैं। इस बात के लिए भारतीय विमानन सेवा के मंत्रियों व अफसरों सहित केंद्र सरकार को इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करनी चाहिए। क्योंकि यह सुरक्षा से संबंध मामला तो है ही एक मासूम जिंदगी का सवाल भी है। दुनियाभर में मानवीय अधिकारों की बात सोचने वाले बचपन बचाओ अभियान चला रहे हैं। काबुल से यह बच्चा यहां तक आ गया। अगर इसकी किसी वजह से मौत हो जाती तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होता। मेरा स्पष्ट मानना है कि यह बहुत बड़ी सुरक्षा चूक काबुल विमान प्राधिकरण के अधिकारियों की तो है ही विमान की चौकिंग करने वालों के खिलाफ होनी चाहिए सख्त कार्रवाई क्योंकि आम यात्री के संग तो जांच के नाम पर ज्यादातर मामलों में काफी कुछ अपमानजनक भी कर दिया जाता है तो फिर इस मामले में चौकिंग में लापरवाही क्यों हुई। एआई तस्वीर से जो दिखाई दे रहा है उससे यह लगता है कि बच्चा निहायती मासूम है और छल कपट से दूर बस ईरान जाने की धुन में गलत हवाई जहाज में बैठ गया। काबुल की सरकार को इसकी सहनशक्ति धैर्य और आत्मविश्वास का लाभ उठाना चाहिए क्योंकि भविष्य में ऐसी सोच के बच्चे देश के लिए बहुत बड़ा काम भी कर सकते हैं लेकिन विमान के सुरक्षाकर्मियों और हवाई अडडा प्राधिकरण के अधिकारियों से जवाब तलब कर सुरक्षा की दृष्टि से उनके खिलाफ कार्रवाई जरुर होनी चाहिए क्योंकि कोई विकृत दिमाग ऐसी हरकत करता तो विमान के यात्रियों की जान पर बन सकती थी
पिछले कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि ज्यादा से ज्यादा व्यापार बढ़ाने और पैसा कमाने के दृष्टिकोण से विमान यात्रियों की जान को जोखिम में डालने से भी कुछ लापरवाह लोग चूकते नहीं है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
14 साल का बच्चा विमान के पहियों में बैठकर काबुल से दिल्ली पहुंच गया, दोषी कौन
Share.