देश में दान देने की परंपरा अपरंपार और दूसरों को दुख से उभारने में सफल रही है। कुछ दशकों में अन्नदान नेत्रदान कन्यादान रक्तदान के किस्से सुनने को मिलते थे लेकिन अब अंगदान देहदान की परंपरा निरंतर बढ़ती जा रही है। स्मरण रहे कि मानव कल्याण अपरंपार है। महर्षि दधीचि द्वारा किए गए दान के बारे में हमेशा पढ़ने को मिलता है लेकिन आजकल मुख्य नारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई अंगदान के मामले में नजर आ रहा है। पिछले दस साल से मेरठ नगर निगम के पूर्व पार्षद सोशल मीडिया एसो. के पदाधिकारी मनमोहन ढल नेत्रदान कराकर लोगों को प्रेरित कर रहे थे लेकिन अब जो पता चल रहा है देश में अंगदान महर्षि देहदान समिति बाराबंकी के किसान मुकेश वर्मा द्वारा जो अंगदान रक्तदान सामूहिक विवाह की मुहिम शुरू की गई। अब खूब प्रचलित हो रही है। लुधियाना की आशा मेहता बेटे से मिली प्रेरणा के बाद देहदान का अभियान चला रही है। जसवंत सिंह जाफर विवेक पंधेर जैसे कई लोग है जिनके कार्यों की लोगों द्वारा प्रशंसा करते हुए अन्यों से प्रेरणा लेकर इस क्षेत्र में सक्रिय होने की अपील की जा रही है।
दोस्तों जहां तक मैं समझता हूं मरने के बाद देह तो समाप्त होनी ही है तो कितना अच्छा हो कि हम इसमें कार्य कर रहे नेत्रदान देहदान से जुड़े लोगों के माध्यम से अपने रहते हुए ही देहदान का संकल्प ले तो समाज से अंधता की बीमारी में कमी आएगी दूसरे विभिन्न अंगों के खराब होने के चलते जो लोग समय से पहले मरते हैं उन्हें अच्छा जीवन देने और अपने शरीर में अपना अंग होने से हमेशा अपने को जीवित रखने के लिए देहदान जरूर करना चाहिए। क्योंकि हमारा अंग किसी ना किसी के काम आ सकता है। मिलावटी खाद्य सामग्री जो हमें उपलब्ध हो रही है से हम बीमारियों का शिकार हो रहे हैं उससे बचने के लिए हम खानपान में तो कमी नहीं कर सकते। इसलिए आपकी देह किसी के काम आ सके तो रक्तदान नेत्रदान देहदान व अंगदान समाज में इन बीमारियों से परिवारों पर पड़ने वाले खर्च में कमी ला सकता है। आओ यह सब दान करने के लिए मेरा इस क्षेत्र के लोगों से आग्रह है कि वह नागरिकों से संपर्क करें और मनमोहन ढल जैसे लोगों को बढ़ावा दें। हमारा सोशल मीडिया एसो. आरकेबी फाउंडेशन भी ऐसे लोगों की मदद करने में पीछे नहीं रहेगा। इसलिए इस जीवनदान की प्रेरणा को आगे बढ़ाएं मिलजुलकर।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अंगदान रक्तदान नेत्रदान के साथ ही आओ मिलकर देहदान के लिए प्रेरित करें, मनमोहन ढल जैसे लोगों को दें बढ़ावा
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