Thursday, November 13

भगवान श्रीकृष्ण का 5252 वां जन्म उत्सव, मथुरा वृदांवन सहित पूरे ब्रज में मची है धूम, देश के गली मौहल्लों में सजने लगी है भगवान की झांकियां

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नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जब जयकारों व भजनों के रूप में यह मधुर आवाज कानों में पड़ती है तो साफ हो जाता है कि भगवान कृष्ण लड्डू गोपाल जी जन्म ले चुके है। बचपन में घर के बाहर गली मौहल्लों में छोटी छोटी झांकियां सजाने और जैसा भी प्रकाश प्राप्त हुआ उसमें बैठ जाने और भक्तों के आने और दर्शन करने के इंतजार में प्रभु भजन किया करते थे। और गांव देहातों में इस मौके पर लगने वाले छोटे छोटे मेलों में जाकर मिट्टी के खिलौने लेने और चाट पकोड़ी खाने का जो आनंद आता है वो भी हिलोरे लेने लगता था। एक आकाश वाणी के अनुसार महाराजा कंस का वध उनकी बहन के पुत्र के हाथों होगा जब यह बात सामने आई तो कंस महाराज ने अपने बहन बहनोई को कारागार में डाल दिया। और पहरे इतने लगा दिये कि कोई परिंदा भी पर न मार सके पर जिनके उपदेशों को संसार गीता उपदेश के रूप में जानता है उन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो जेल के दरवाजे अपने आप खुल गये और वासुदेव जी एक छाज में लेकर वहां से निकले और यशोदा जी के यहां उन्हें छोड़ आये बाल लीलाओं का सारा आनंद वहीं के लोगों ने लिया। और फिर भगवान ने अपने मामा कंस के सारे आतंकी उपायों से बचकर उनका अंत किया।
कृष्ण का अर्थ है जो आर्कषित करता है। यहां भी ऐसा ही है। भगवान ने अपनी बाल लीलाओं और वासुरी से निकली मधुर धुनों से सभी को भक्ति रस और पवित्र मस्ती में गोते लगाने के लिए मजबूर किया। और फिर भगवान इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत अपनी अंगुली पर उठा लिया। और फिर महाभारत के युद्ध में अर्जुन को जो ज्ञान दिया गया वो अपने आप में निस्वार्थ पवित्र और श्रेष्ठ कहलाया। 16 कलाओं के माध्यम से अपने भक्तों और गोपियों तथा परिवार के सदस्यों आदि को हमेशा खुशियों का माहौल उपलब्ध कराने वाले भगवान श्रीकृष्ण का 16 अगस्त को जन्म होगा। इसको लेकर कुछ जगह नंद गांव में 17 को जन्माष्टमी और 18 को नंदउत्सव मनाया जाएगा। बधाई गान मंगल शुरू हो गया है। और इस मौके पर अनेकों उनकी बाल लीलाओं से संबंध कार्यक्रम शुरू हो गये है। सेवायत गोपाल गोस्वामी के अनुसार नंद गांव के नंद भवन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और 18 को नंद उत्सव होगा। तो कुछ जगह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा और यह पर्व कई जगहों पर मुख्य स्थानों पर 6 दिनों लगने वाले स्थानीय स्तर पर मेले झांकियां शोभायात्रा आदि से परिपूर्ण होगा। त्योहार के दौरान खासकर ब्रज में अधिकांश मंदिरों में झांकियां सजाई जाएंगी। मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्म स्थान समय दुनिया में लड्डू गोपाल का जन्म 16 अगस्त की रात 12 बजे होगा। और इस मौके पर देश भर के गांव गली मौहल्लों में ब्रज सहित भजन कीर्तन भगवान के जीवन से संबंध झांकियां और बड़े बड़े सुन्दर झूले आदि सजेंगे। बताते है कि इस बार पहली बार वैष्णव व सर्माथ एक साथ मनायेंगे जन्म उत्सव। बताते चले कि हमेशा ब्रज में और कुछ अन्य स्थानों पर इस अवसर पर दो दिन व्रत रखा जाता है। और मंदिरों में झांकियां भी दोनों दिन सजती है। लेकिन इस बार भगवान का जन्म रात्रि को 12 बजे होगा। और जन्म उत्सव सब एक ही दिन हमेशा मनाते रहे है। इस अवसर पर देश के मंदिरों में वहां के नामचीन कलाकार से लेकर बच्चे तक मंदिरों को सजाने के साथ प्रसाद आदि भी बांटते है और खुशियां मनाते है। जन्माष्टमी पर्व पर व्रत रखने वालों के द्वारा पहले तो अपने घरों पर ही उपयोग खाद्य सामग्री बनाई जाती है लेकिन अब गांव हो या शहर सब जगह हलवाईयों के यहां चोलाई के लड्डू और दूध से बनी मिठाईयां उपलब्ध है और इन्हीं का ज्यादातर उपयोग हो रहा है ज्यादातर। जगह जगह सजने वाले मंदिरों में कान्हा के लिए डिजाईनर झूले और सुन्दर पोशाक तो उपलब्ध है ही क्योंकि ब्रजवासी इस कला में माहिर है। इस कारण से भगवान के 52-52 वें जन्म उत्सव पर मंदिरों में झांकियां सजाने हेतु मथुरा वृंदावन के कारीगर देशभर में जाते है और उनकी मांग इतनी बढ़ जाती है कि इसके लिए उनकी दक्षिणा भी जानकारी अनुसार कई कई गुना हो जाती है।
(संलग्न प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य संपादक पत्रकार)

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