मेरठ 26 मार्च (प्र)। श्री हनुमंत कथा सुनाने मेरठ पहुंचे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने औरंगजेब पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश को तोड़ने वाला महान नहीं हो सकता। देश को जोड़ने वाले लोग महान होते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाना ही लक्ष्य है।
मंगलवार को मेरठ पहुंचे आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सत्य, सनातन के सपने को लेकर वह आगे बढ़ रहे हैं। हिंदू राष्ट्र बने, यही उनका लक्ष्य है। धीरेंद्र शास्त्री जागृति विहार एक्सटेंशन में 29 मार्च तक श्री हनुमंत कथा सुनाएंगे। मंगलवार को उनकी कथा में भारी भीड़ उमड़ी। कई राज्यों से लोग श्री हनुमंत कथा सुनने के लिए मेरठ पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा मेरठ सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शिवनगरी है। बाबा महादेव की नगरी है। मेरठ मंदिरों की नगरी है। 1857 में पहली क्रांति आजादी के लिए यहां से शुरू हुई थी और देश को आजादी मिली थी।
ये शूरवीरों की भूमि है। मेरठ पांडवों की भूमि है। महादेव की भूमि है। बाबा औघड़नाथ, मंशा देवी, काली माता की नगरी है। खेल उद्योग जगत का सबसे बड़ा केंद्र है। कथा आयोजक नीरज मित्तल, गणेश अग्रवाल, संजय त्रिपाठी, राजेश खन्ना, राजेश सिंघल समेत पूरी टीम को हमें यहां बुलाने का सौभाग्य जाता है।
श्री हनुमंत कथा के पहले दिन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कथा में कहा कि वह चाहते हैं कि क्रांति के शहर मेरठ से एक और क्रांति हिन्दू राष्ट्र के लिए शुरू हो। पहले देश की आजादी के लिए क्रांति शुरू हुई थी तो देश को आजादी मिली थी। अब मेरठ से हिन्दू राष्ट्र के लिए आवाज उठे जो दिल्ली तक गूंजे।
कथा में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि घर में हनुमंत कथा होगी तो घर कभी नहीं टूटेंगे। आज घरों के टूटने का कारण ज्यादा शिक्षित होना हो गया है। आज लोग ज्यादा शिक्षित हो गए हैं, संस्कार की कमी हो गई है। धार्मिक आयोजन कम और पाश्चात्य संस्कृति को लोग अपना रहे हैं, जिसके चलते लोगों के घर टूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले लोग कम पढ़े लिखे थे पूरे कपड़े पहनते थे, आज लोग शिक्षित हो गए हैं तो उनके कपड़े भी कम हो गए हैं।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पहले दो कमरे का मकान होता था, उस घर में रहने वालों में प्यार होता था। एक साथ रहते थे, लोगों के दिल बड़े होते थे, मेहमान आ जाए तो उसे घर में कई दिन रोककर उसका आदर सत्कार करते थे, लेकिन आज मकान तो बड़े हो गए लेकिन लोगों के दिल छोटे हो गए।
घर में रहने वालों को एक-दूसरे से कोई मतलब नहीं होता। घर बड़े हो गए हैं उसके बाद भी माता पिता वृद्धा आश्रम में रहते हैं। अमीर वह नहीं जिसके पास पैसा है, अमीर वह है जिसके दरवाजे पर उसके माता पिता, घर के बुजुर्ग हंसते हुए रहते हैं। अमीर वह है जिनके घर में बुजुर्ग हों और वह सुखी हों।
कथा में आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि चित्र कैसा भी हो चरित्र हमेशा अच्छा होना चाहिए। चित्र दोबारा बन सकता है लेकिन एक बार लगा चरित्र पर दाग कभी नहीं हट सकता है। इसलिए अपने कर्म अच्छे रखने चाहिए। दूसरों के सुख दुख में काम आना चाहिए। कभी किसी का परिहास नहीं करना चाहिए। चरित्र अच्छा होगा तो भगवान की भक्ति मिलेगी।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जिसकी जैसी संगति होती है उसका वैसा ही असर होता है। हमेशा अच्छे लोगों की संगत करनी चाहिए। बुरे लोगों का साथ हमेशा दुख ही देता है। जिस प्रकार एक जुआरी पूरे गांव को जुआरी बना देता है, वैसे ही बुरी संगत जीवनभर पछतावा कराती है। हनुमान जी की भक्ति करोगे तो प्रभु राम की भक्ति अपने आप मिल जाएगी।