नई दिल्ली 12 अक्टूबर। बटला हाउस मुठभेड़ मामले में साकेत कोर्ट से मौत की सजा पाए आतंकी आरिज खान को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है. उच्च न्यायालय ने आरिज खान की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है. इस साल 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस व दोषी की तरफ से दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आपको बताते चलें कि 2008 में हुए इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की गोली लगने से मौत हो गई थी. साल 2021 में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बहुचर्चित बटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े एक मामले में अपना फैसला सुनाया था.
साकेत कोर्ट ने इस मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया था और मौत की सजा सुनाई थी. आरिज खान उर्फ जुनैद को उक्त मुठभेड़ के बाद लगभग एक दशक तक फरार रहने के बाद 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शर्मा की हत्या से संबंधित मामले में अपनी दोषसिद्धि और मौत की सजा को चुनौती देने वाली आरिज खान की अपील पर भी आदेश सुनाया. दिल्ली के बटला हाउस के एल-18 फ्लैट में रेड के दौरान हुई गोलीबारी में 2 आतंकवादियों और पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत हो गई थी.
मई 2021 में, दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के बटला हाउस में पुलिस और उक्त आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान शर्मा की हत्या के लिए आरिज खान को दोषी ठहराया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 333, 353, 302, 397 और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया था.आदेश सुनाते हुए अदालत ने कहा था, ‘रिकॉर्ड पर साबित हुआ कि आरिज खान ने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वेच्छा से एक एसआई को गंभीर चोट पहुंचाई.’
अदालत ने कहा था, ‘रिकॉर्ड पर पेश किए गए दृश्य, दस्तावेजों और वैज्ञानिक सबूतों के साथ, अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के साबित कर दिया है कि आरिज खान ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा के लिए सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डाली और सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए, शर्मा को मारने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया. रिकॉर्ड पर यह भी साबित हुआ है कि उसने सहयोगियों के साथ जानबूझकर आग्नेयास्त्र से शर्मा की हत्या की.’