मेरठ 10 मई (प्र)। शहर घंटाघर स्थित होटल अलकरीम का 40 फीसदी हिस्सा अवैध है और नगर निगम के 23 कर्मचारियों की नियुक्ति फर्जी हुई है। गुरुवार की रात को सीबीसीआईडी के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर नागेन्द्र प्रताप सिंह की तहरीर के आधार पर थाना देहलीगेट ने उक्त मामलोें में लिखा पढ़ी की है। होटल अलकरीम पहली बार चर्चा में नहीं है। शासन के आदेश पर सीबीसीआईडी होटल अलकरीम के अवैध निर्माण और नगर निगम में 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की जांच कर रही थी। यह जांच सीबीसीआईडी आगरा के अधीन थी। कुल चार मुकदमे थाना देहलीगेट पुलिस ने दर्ज किए हैं।
इनमें एक मुकदमा नगर निगम की दुकानों को तोड़कर अवैध निर्माण कर उनका स्वरूप बदलने का भी है, लेकिन इस मुकदमों में सबसे बड़ा मुकदमा नगर निगम के 23 कर्मचरियों की फर्जी नियुक्ति का है। ये फर्जी नियुक्ति अलग-अलग सालों में तत्कालीन अलग-अलग अफसरों की कलम से की गई। दरअसल, यह पूरा मामला अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने से जुड़ा है। नगर निगम के जिन अस्थायी जिन 23 कर्मचारियों स्थायी किया गया, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है साथ ही सक्षम अधिकारी के खिलाफ भी लिखा पढ़ी की गयी है।
मामला अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने से जुड़ा है। नगर निगम के जिन 23 अस्थायी कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति के मामलों को लेकर पूर्व में शासन के आदेश पर तत्कालीन मंडलायुक्त से लेकर डीएम स्तर के अधिकारी तक जांच कर चुके हैं। जिनकी नियुक्ति की गयी उनमें एक दो का निधन हो चुका है। ज्यादातर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पूर्व की जांचों में 23 कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ही नहीं माना बल्कि उनसे सेलरी की रिकवरी के भी आदेश दिए जा चुके हैं। यह बात अलग है कि इस आश्य के जितने भी आदेश शासन से नगर निगम आते थे, वो सक्षम अधिकारी तक पहुंंचने से पहले ही गायब कर दिए जाते थे।
इनके खिलाफ हुआ केस
नगर निगम का नियुक्ति अधिकारी, जावेद, अमरदेव, महमूद अली, मनोज कुमार गौड़, सुनील कुमार, दिनेश कुमार, मोहम्मद परवेज, धर्मेंद्र, आलोक शर्मा, सुनील शर्मा, सुनील दत्त शर्मा, राजकुमार, मनोज कुमार, संजय शर्मा, आरिफ, सतीश कुमार, राजेश कुमार, नौशाद, नुकुल वत्स, हरवीर सिंह, साकिब खांन, राजेन्द्र कुमार ।