Friday, December 27

सीईओ कैंट बोर्ड और कमिश्नर/डीएम दे ध्यान! रिहायशी भूमि पर बने सील लगा बाम्बे मॉल है गुलजार, मोटे किराये और करोड़ों में बिक रही है दुकानें

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मेरठ 27 दिसंबर (प्र)। आजकल मीडिया हो या समाज सब जगह अवैध निर्माण से संबंध समाचार एक विशेष खबर बनते जा रहे है। और अब तो स्थिति यह है कि करने वाले लिखने वालों को ब्लैकमेलर बताये या कुछ और लेकिन आम आदमी इससे संबंध खबरें खूब चटखारे लेकर पढ़ता है और चाहता है कि ऐसे समाचार अवलोकन करने के लिए मिले।
दूसरी तरफ सरकार की लाख कोशिशों के वाबजूद तथा न्यायालयों के निर्णयों के बाद भी अवैध निर्माणों की बाढ़ कैसे आ रही है यह विषय सोचनीय है। कुछ लोगों का यह कथन भी बिल्कुल सही है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा मोटा किराया देकर खोले जाने वाले शोरूम भी इसका एक मुख्य कारण है। लेकिन सबसे बड़ी वजह सरकार ने जो विभाग इसे रोकने और नियमों का पालन कराने के लिए बनाये उनमें मोटी मोटी तनख्वाह लेने वाले ज्यादातर जिम्मेदार अफसर नियमों का पालन कराने में दिलचस्पी कम और जागरूक नागरिकों के अनुसार माल कमाने और अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने व सुविधा जुटाने में ज्यादा प्रयासरत रहते है।

इसके उदाहरण के रूप में आज एक प्रमुख जागरूक नागरिक द्वारा बताया गया कि थाना सदर बाजार के क्षेत्र और कैंट बोर्ड से कुछ सौ गज के फांसले पर बांबे बाजार बिजली घर के बराबर में बना जो बांबे मॉल कुछ वर्षों पहले माननीय न्यायलय के निर्देशों पर तोड़ा दर्शाया गया था वो गुंजायमान है। बताने वालों का कहना है कि पूरी तौर पर रिहायशी जगह पर निर्मित बांबे मॉल का जो हिस्सा तोड़ने से छोड़ा गया था उस पर पूर्व में सील लगी हुई थी और बाद में चर्चित सूत्रों के अनुसार कोर्ट में जो मामला दाखिल किया गया उसमें भी सील लगी बताई गई। सही क्या है गलत क्या है यह तो जानकार ही बता सकते है। लेकिन जागरूक नागरिकों का कहना है कि इस रिहायशी जगह पर बने कमर्शियल कॉम्पलेक्स बांबे मॉल में जो भव्य शोरूम और दुकाने खुल रही है वो या तो लाखों करोड़ों में ले बेच की जा रही है या मोटे किराये पर इसके वर्तमान मालिक के द्वारा उठाई जा रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात वो यह है कि संबंधित विभाग के कागजों में इस मॉल पर सील लगी है और न्यायलय को भी शायद यही अवगत कराया गया है। लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग के अफसर दिनभर यहां आते जाते है। उन्हें क्यों नहीं दिखाई देता कि इस सील लगे भवन में खुलने वाली दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अवैध निर्माण से होने वाली समस्याओं से लेकर उसका विरोध करने वाले नागरिकों का कहना है कि रक्षा सचिव डीजी कैंट बोर्ड के सीईओ रक्षा संपदा अधिकारी इस ओर दे ध्यान क्योंकि छोटे छोटे बन रहे घरों जिन्हें अवैध निर्माण बताकर कार्रवाई की जाती है उनसे ज्यादा इन काम्पलैक्सों के कारण जन समस्याऐं नागरिकों के सामने आ रही है। प्रातः 10 बजे से रात 10 बजे तक यहां कई दफा जाम लगता है और नागरिक यहां काफी काफी समय तक उसमें फंसे रहते है। ऐसा नहीं है कि संबंधित विभागों के अधिकारी समस्याओं का सामना न करते हो। लेकिन कोई कार्रवाई न किये जाने के चलते अवैध निर्माण करने और घरेलू आवास तोड़कर या प्लॉटों पर शोरूम और दुकानें खोलने वालों के हौंसले बढ़ते ही जा रही है। कई लोगों का यह भी मानना है कि सेना से संबंध विभाग के अधिकारियों के अतिरिक्त मेरठ मंडलायुक्त जी व जिलाधिकारी जी को जन समस्याओं के समाधान और अवैध निर्माण की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई कराई जानी चाहिए।

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