मेडा के कुछ अधिकारी कच्ची कालोनियां काटने अवैध निर्माण और सरकारी भूमि पर कब्जा तथा उसे अवैध रूप से बेचे जाने पर तो कारण कोई भी हो नागरिकों के अनुसार रोक लगा पाने में सफल नही हो पाये। हां ये जरूर है कि इस संदर्भ में सरकार की नीतियों का पालन कराने और उसकी जमीन को बचाने का काम मेडा के अधिकारियों को करना चाहिए वो सूचना का अधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन कर रहे है। बताते है कि मनोज चौधरी अवैध निर्माणों का मामला मान्य न्यायालय ले गये और जल्दी ही उस पर सुनवाई होना बताई जाती है। दूसरी ओर एक मंदिर पर कार्मशियल नक्शा पास कर दिये जाने का विरोध शिवसेना द्वारा प्रदर्शन कर किया गया। जिससे यह पता चलता है कि कहीं न कहीं मेडा के अधिकारी अपने काम को सही प्रकार से पूरा न कर पाने का गुस्सा मिलने आने वालों को डपटकर और घंटों बैठाने के बाद भी मिलने की बजाए वापस भेज दिये जाने की नीति अपना रहे है।
मेडा वीसी को क्यों आता है गुस्सा
आज कुछ लोग अपनी समस्याऐं लेकर वीसी एमडीए कार्यालय पहुंचे मगर मुलाकात न होने और मिलने की बजाए अधिकारियों द्वारा मीटिंग हॉल में जाने की अपनाई गई नीति के चलते नागरिक और अधिकारियों में झड़प होने की खबर है। स्मरण रहे कि मेरठ मंडलायुक्त जिलाधिकारी और जनपद में तैनात अन्य अफसर भी अपनी समस्याऐं लेकर आने वालों से मिलते भी है उनकी बात भी सुनते है तो फिर वीसी एमडीए द्वारा गत दिवस एक पार्षद पति को एक खबर के अनुसार डेढ़ घंटे बैठाकर बिना मिले वापस क्यों किया गया। और आज आये नागरिकों से दो मिनट उनकी बात सुनने की बजाए मीटिंग हॉल में जाने की नीति क्यों अपनाई गई। क्या मेडा पर सरकार की नियम और नीतियां तथा माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेश लागू नहीं होते।
मेडा ने धार्मिक विरासत की भूमि मंदिर की जमीन पर कैसे कर दिया कार्मशियल नक्शा पास
पिछले कुछ वर्षों से एक किदवंती कई बार मौखिक रूप से सुनने को मिली अगर सरकारी अधिकारी चाहे तो शहर घंटाघर और नगर निगम में भी करा दे अवैध निर्माण। मगर ऐसा कभी हुआ हो वो देखने और सुनने को नहीं मिला। मगर एक खबर के अनुसार शोहराब गेट बस अड्डे के पास ऐतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर और बाबा जादूगर ट्रस्ट की भूमि पर नियमों की अनदेखी कर मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा के अफसरों ने व्यवसायिक निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत कर कैसे कर दिया। उक्त जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए मामले की जांच कराने की मांग की। बताते है कि धार्मिक स्थल की भूमि भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग द्वारा ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक विरासत स्थल घोषित है। इसका प्रमाण पत्र भी राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया है। खबर है कि जिलाधिकारी दीपक मीणा जी ने एसीएम सिविल लाइंस महेश प्रसाद दीक्षित को जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिये है। स्मरण रहे कि इस प्रकरण में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए एमडीए वीसी से भी शिकायत की गई बताई गई है। शिवसेना उद्वव गुट के प्रदेश महासचिव धर्मेन्द्र तोमर के नेतृत्व में इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया है।
साकेत के रिहायशी भूखण्ड पर नर्सिंग होम निर्माण की वीसी करेंगे जांच
एक समाचार के अनुसार अधिवक्ता एसपी सिंह के द्वारा मंडलायुक्त से की गई शिकायत कि साकेत में आवासीय भूखण्ड पर नर्सिंग होम बन रहा है। बताते है कि इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए साकेत के भूखण्ड संख्या 167बी का भूउपयोग बदलकर यह निर्माण किया जा रहा है। मंड़लायुक्त ने जानकारी अनुसार इस प्रकरण की जांच वीसी मेडा को सौंपी।
वीसी साहब साकेत नर्सिंग होम के साथ ही डा0 सगहल के नर्सिंग होम की जांच कर कीजिए कार्रवाई
जागरूक नागरिकों का मानना है कि कमिश्नर आवास से अब्दुल्लापुर जाने वाले मार्ग पर न्यूरोसर्जन सहगल द्वारा भूमि का उपयोग गलत तरीके से करते हुए नर्सिंग होम का निर्माण कर लिया गया है। डा0 सहगल द्वारा बनाये गये इस नर्सिंग होम पर एक बार सील की कार्रवाई भी हुई थी फिर क्या हुआ यह किसी को नहीं पता। अवैध निर्माणों से होने वाली समस्या से पीड़ित कुछ नागरिकों का मानना है कि वीसी साहब साकेत के नर्सिंग होम की जांच के समय ही डा0 सहगल के नर्सिंग होम की भी जांच करे और यह देखें की इसका भूउपयोग क्या है नक्शा किस उपयोग में पास हुआ कितनी जगह पर क्या क्या चीज बननी थी यह भी दिखवाया जाए। और अब क्योंकि अवैध निर्माण शमन नहीं हो सकते इसलिए जांच कराकर नर्सिंग होम और उसके संचालक डाक्टर के विरूद्ध की जाए कार्रवाई।
वीसी साहब 600 करोड़ की भूमि खाली कराने के क्यों नहीं किये जा रहे साकारात्मक प्रयास
मेडा उपाध्यक्ष कई बार सरकारी भूमि खाली कराने और उन पर हुए निर्माणों को ध्वस्त करने के साथ ही कर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई करने की बात कह चुके है उसके बावजूद अखबारों में छप रही खबरों के अनुसार कंकरखेड़ा के क्षेत्र बाईपास के समीप गांव नंगलाताशी से सटे मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन बी में स्थित 6 सौ करोड़ की बेशकीमती जमीन को खाली कराने तथा उसका कब्जा लेने और जिस उपयोग के लिए यह भूमि रोकी गई थी उसका काम शुरू कराने का काम शुरू क्यों नहीं करते। यह चर्चा भी नागरिकों में जोरशोर से व्याप्त है।
मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! उपाध्यक्ष को क्यों आता है गुस्सा? एमडीए ने मंदिर की भूमि पर कर दिया व्यवसायिक नक्शा पास, साकेत नर्सिंग होम के साथ ही डा0 सहगल के निर्माण की भी कराए जांच
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