मेरठ 21 नवंबर (प्र)। बिना तकनीकि जांच (थर्ड पार्टी) कराये ही कलक्ट्रेट में पुराने एडीएम ब्लाक के स्थान पर तीन मंजिला भवन तैयार कर देने के मामले में डीएम के नोटिस के बाद निर्माणकर्ता एजेंसी सीएंडडीएस के अधिकारियों में खलबली मची है। फिलहाल भवन के अन्य दो ब्लाकों का निर्माण कार्य रोक दिया गया है। डीएम के निर्देश पर आइआइटी (बीएचयू) बनारस की टीम को थर्ड पार्टी जांच के लिए बुलाया जा रहा है। इसके लिए उनकी एक बार का निरीक्षण का शुल्क साढ़े तीन लाख रुपया भी जमा करा दिया गया है।
कलक्ट्रेट में अंग्रेजी शासनकाल के समय के पुराने एडीएम ब्लाक के भवन में 12 विभागों और अधिकारियों के कार्यालय तथा न्यायालय संचालित थे। इस जर्जर भवन को ध्वस्त कर यहां तीन मंजिला भवन निर्माण का कार्य पिछले कई महीने से चल रहा है। 22 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे भवन के तीन ब्लाक हैं। ए ब्लाक की तीन मंजिला बिल्डिंग का ढांचा बनाकर तैयार कर दिया गया है। बी ब्लाक की एक मंजिल बनी है जबकि सी ब्लाक के फाउंडेशन का काम चल रहा है। हाल ही में डीएम ने निर्माणकर्ता एजेंसी सीएंडडीएस जल निगम के परियोजना प्रबंधक और एडीएम सिटी की अध्यक्षता में गठित तीन अधिकारियों की जांच समिति को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। आरोप है कि तीन मंजिला भवन को थर्ड पार्टी से बिना तकनीकि निरीक्षण ही बनाकर तैयार कर दिया गया।
नोटिस मिलते ही सीएंडडीएस अधिकारियों में खलबली मच गई। दरअसल सीएंडडीएस ने अभी तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की टीम से थर्ड पार्टी निरीक्षण कराने की तैयारी कर रखी थी, जबकि डीएम ने भवन की गुणवत्ता और मानकों की जांच आइआइटी रुड़की से कराने का आदेश दिया था। अफसरों की माने तो आइआइटी रुड़की ने प्रत्येक निरीक्षण के लिए दस लाख रुपया फीस की मांग की थी। अब डीएम के निर्देश पर आइआइटी बनारस (बीएचयू) से संपर्क किया गया है। सीएंडडीएस का दो निरीक्षण कराने का दावा सीएंडडीएस के परियोजना प्रबंधक रंजीत कुमार ने दावा किया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से तीन मंजिला भवन के दो बार निरीक्षण कराए गए हैं। डीएम के आदेश पर आइआइटी रुड़की को कई बार पत्र भेजे गए। जवाब न मिलने पर इंजीनियरों की टीम वहां गई। उन्होंने प्रत्येक निरीक्षण के बदले 10 लाख रुपये की मांग की थी। भवन का पांच बार निरीक्षण कराना प्रस्तावित है। भवन का तीस प्रतिशत काम पूरा हुआ है। जिलाधिकारी के नोटिस का जवाब दिया जाएगा।
एडीएम सिटी बृजेश सिंह का कहना है कि निर्माणाधीन भवन महत्वपूर्ण है। जिसका निरीक्षण समिति और डीएम करते रहते हैं। पत्रावली पर उक्त निरीक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है।
