Monday, June 2

कमिश्नर साहब जांच कराईये! मुख्यमंत्री पोर्टल पर आई अवैध निर्माणों की शिकायतों का मानचित्र पास या पुराना बताकर जेई कर रहे है फर्जी निस्तारण, शहर में हर रोड़ पर नियम विरूद्ध निर्माणों की सख्या बढ़ती ही जा रही है

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दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ 08 अप्रैल (प्र)।
मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध जेईयों की अगर माने तो शहर में 95 प्रतिशत निर्माण मानचित्र पास और सरकार की नीति के तहत हो रहे है। जबकि सही मायने में देखे तो 100 में से 90 निर्माण मानचित्र पास बताकर अवैध रूप से मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध जेईयों द्वारा सत्यापित कर सरकार की निर्माण नीति की धज्जियां तो उड़ाई ही जा रही है विभाग को विभिन्न रूप में मिलने वाला जो शुल्क मिलना चाहिए उसकी भी चोरी कराने में कहे अनकहे रूप में यह भूमिका निभा रहे है ऐसा नागरिकों का कहना है।

बताते चले कि माननीय मुख्यमंत्री जी के जनशिकायत पोर्टल के माध्यम से अथवा मेरठ मंडलायुक्त के कार्यालय से तथा खुद एमडीए के अधिकारी जिन निर्माणों के अवैध निर्माणों की जांच इनसे कराते है उनमें से 90/95 प्रतिशत निर्माण अवैध होने के बावजूद जेई साहब मानचित्र पास बताकर सत्यापित कर उन्हें सही घोषित कर देते है। इस चक्कर में कितने ही ऐसे निर्माण सामने आये है जो पूर्ण रूप से सरकारी जमीन पर अथवा रोड़ बाईडिंग या हरित पट्टी की जमीन घेरकर उस पर बने बताये जाते है। लकिन इनके द्वारा जैसा नागरिकों का कहना है कि अवैध निर्माणकर्ताओं से मिली भगत कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने अथवा सुविधा जुटाने के लिए सभी का सत्यापन कर दिया जाता है। ऐसे एक नहीं तमाम निर्माण शहर के हर मार्ग पर या तो हो रहे है अथवा पिछले दो साल में हुए है देखने को मिल सकते हैं।


वीसी सचिव जांच नहीं करते सड़क पर आकर
मान्य मंड़लायुक्त जी जहां तक दिखाई दे रहा है एमडीए के उच्च अधिकारियों का तो कोई दबाव इन पर नजर आता नहीं और सेकेट्री या वीसी साहब सड़क पर निकलकर जिन निर्माणों की शिकायत होती है उनमें से किसी का भी सड़क पर निकलकर देखने की जरूरत नहीं समझते है। और ना ही गलत होने पर जेईयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे है। नागरिकों का कहना है कि क्योंकि मंड़लायुक्त जी विकास प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष भी है वो अपने सहयोगी अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर जिन मामलों की मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत हुई मगर जेईयों ने मानचित्र पास बताकर उनके निस्तारण कर दिये उनकी जांच कराये और इसमें इन इन बिन्दुओं पर दिया जाए विशेष ध्यान।

  1. मानचित्र क्या क्या बनाने का पास हुआ।
  2. मौके पर क्या क्या बना हुआ है।
  3. जमीन का भूउपयोग क्या है। और उसका इस्तेमाल किस रूप में किया जा रहा है।
  4. पूर्ण सरकार की निर्माण नीति के तहत निर्माण है या नहीं।
  5. साईड फ्रंड बैक आदि छोड़कर हुआ या नहीं।
  6. सड़क से जितनी फीट जगह छोड़ी जानी चाहिए वो छोड़ी या नहीं।
  7. जिस भूमि पर निर्माण हुआ वो सरकारी तो नहीं है या हरित पट्टी या रोड़ बाईडिंग की जमीन तो नहीं घेरी गई।
    इन बातों का ध्यान रख पिछले दो साल में माननीय मुख्यमंत्री जी के पोर्टल पर आई जन शिकायतों का जेईयों ने मानचित्र पास बताकर निस्तारण किया उनकी फाईलें निकलवाकर जांच कराई जाए और दोषी जेईयों के विरोध हो कार्रवाई। क्योंकि जांच का निस्तारण गलत करने के साथ साथ अब ऐसा बताया जाता है कि मामले के निस्तारण हेतु शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर भी फर्जी लोगों से करा दिये जाते है। और सरकारी भूमि पर बने निर्माण को पुराना बताकर निस्तारण कर दिया जाता है ऐसा जानकारों व आम नागरिकों का भी कहना और मानना है।
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