Thursday, July 31

कमिश्नर साहब ध्यान दीजिए! मेडा के अधिकारियों ने स्कूल का हॉल तो तोड़ दिया लेकिन मानचित्र के विपरीत गढ़ रोड पर बने पीएस आर्केड में हल्दीराम और अन्य के शोरूम का किया जा रहा है फर्जी निस्तारण

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किसी गरीब को सिर छिपाने के लिए नियमों को तोड़कर झोपड़ी पर छत डालनी पड़े अथवा अभावों में जीने वाली माता बहनों को शौच व स्नान के लिए बिना अनुमति के दीवारें खड़ी कर बाथरूम बनाना पड़े तो ऐसे अवैध निर्माण का तो मैं विरोधी नहीं हूं लेकिन माल कमाने के लिए सरकारी निर्माण नीति के खिलाफ होने वाले अवैध निर्माणों का ना समर्थक रहा ना विरोधी। विरोध तो इसलिए नहीं कि यह काम अफसरों को करना है। और समर्थन इसलिए नहीं करता हूं मैं इनमें शामिल नहीं हूं।
कभी कभी इससे संबंध विभाग के उन अफसरों की कार्यप्रणाली जो बहुमंजिले अवैध निर्माणों पर तो आंख मीच लेते हैं लेकिन छोटे निर्माणों को तोड़कर अपनी तीरदाजी दिखाते हैं अफसोस जरूर होता है। बीते दिनों नूर नगर हाल्ट के पास मेडा के अफसरों ने हाइनेंस पब्लिक स्कूल के संचालकों द्वारा बनाए गए 250 गज के हॉल को बुल्डोजर से धराशायी कर दिया। शहरी क्षेत्र के एक छोटे से घर को ढाया गया। गलत बना था कार्रवाई हुई कोई गम नहीं लेकिन ऋषि कपूर की फिल्म लैला मजनू के गाने कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को देखा जाए तो मेडा के ऐसे तीरंदाजों को हो रहे बड़े और भव्य अवैध निर्माण क्यों नहीं दिखाई देते। एक तरफ यह सरकारी संपत्ति पर भवनों को पुराना बताकर बख्श रहे हैं दूसरी तरफ गढ़ रोड पर पीएस आर्केड कॉम्पलैक्स में हल्दीराम के शोरूम और उसके पास बने एक शोरूम जो अवैध रूप से बना है यह कहकर बख्स रहे हैं कि मानचित्र पास है। ऐसे लोग जब छोटे निर्माण तोड़ते हैं तो सीएम योगी की भावनाओं के विपरीत ही काम करते है। कमिश्नर साहब जहां तक नजर आ रहा है और जनता कह रही है मेडा के अफसरों से तो अब अवैध निर्माण रोकने की उम्मीद तो अब की नहीं जा सकती। आप मंडल के सभी विकास प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष हैं । आपके पास पद अधिकार और ताकत है। इसलिए नागरिकों का मानना है कि मानचित्र पास बताकर सीएम पोर्टल पर शिकायतों के फर्जी निस्तारण मेडा के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे हैं और उच्चाधिकारी चुप्पी लगाकर बैठे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई आपके स्तर पर ही संभव लगता है। कुछ लोगों का मानना है कि मेडा अधिकारियों का कारनामा देखना है तो गढ़ रोड पर हल्दीराम के आउटलेट और उसके नक्शे को मंगाकर देखा जा सकता है। जिसका निस्तारण मेडा के अधिकारी यह कहकर करते चले आ रहे हैं कि मानचित्र पास है। सवाल उठता है कि कितने गज में मानचित्र पास हुआ और किस उपयोग में हुआ। अब मौके पर क्या बना और सरकारी नीति के अनुसार व्यवस्थाएं मौजूद हैं या नहीं। लेकिन यह देखने के बजाय अधिाकरी शॉप का मानचित्र पास है कहकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे बताए जाते हैं। ऐसे ही मेडा के क्षेत्र में अवैध निर्माण देखने को मिल सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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