Sunday, June 1

हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे मनोज कुमार, उनकी फिल्म गीत व डॉयलॉग

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चार अप्रैल 2025 को देशभक्ति से परिपूर्ण कई फिल्में देश को देकर इस दुनिया से पलायन कर गए भारत कुमार । बताते चलें कि 1947 में बंटवारे के बाद दस साल की उम्र में पाकिस्तान के एबटाबाद में अपनी पुश्तैनी जमीन और घर छोड़कर दिल्ली आए हरिकृष्ण गोस्वामी जो बाद में मनोज कुमार के नाम से जाने माने फिल्म स्टार तो रहे ही प्रोडयूसर डायरेक्टर भी बने। भारत कुमार के रूप में मनोज कुमार के साथ ही पलायन कर गए। मुझे आज भी याद है कि बचपन के मुफलिसों के दिनों में 1970 में उनकी फिल्म पूरब और पश्चिम आई जिसमें उनकी हीरोईन हेमा मालिनी थी। इस फिलम का गाना तेरा चिमटा मेरी चुड़िया बच्चे बच्चे की जबान पर था। पूरब और पश्चिम शोर क्रांति आदि फिल्मों ने तहलका मचाया हुआ था। आज मनोज कुमार हमारे बीच नहीं है लेकिन दस साल की उम्र में शरणार्थी के रूप में आए और फिर अपनी देशभक्ति और अच्छी सोच के चलते एक जमाने में युवाओं के दिलों पर राज किया। उन्हें देशभक्ति का संदेश भी दिया गया। बताते चलें कि अविभाजित भारत के एबटाबाद में 24 जुलाई 1937 को उनका जन्म हुआ। दिल्ली के हिंदू कॉलेज से शिक्षा प्राप्त कर स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित रहे। बताते हैं कि दिलीप कुमार की फिल्म शबनम देखकर हरिकृष्ण से मनोज कुमार हुए। मनोज कुमार को 2016 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 1992 में पदमश्री, कई फिल्म फेयर पुरस्कार तथा भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की भावना को सशक्त बनाने के लिए विशेष सम्मान प्राप्त हुए। वो प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के भी निकट रहे। और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी संबंध स्थापित किए। उनकी फिल्म हरियाली और रास्ता, शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, शोर, रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति ऐसी फिल्म रहीं जिन्हें उनके समय के और आगे की पीढ़ी के नागरिक भी भूला नहीं पाएंगे। जब जब उनकी फिल्मों के गीत मेरे देश की धरती सोना उगले, भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं, मैं ना भूलूंगा, महंगाई मार गई को लोग भूला नहीं पाएंगे। मनोज कुमार एक ऐसे हीरो के रूप में स्थापित रहे जिन्होंने अपने समय के सभी नामचीन कलाकारों से मधुर संबंध कायम रखे। बताते चलें कि अपने सरल स्वभाव के बावजूद वो किसी गलत बात को नहीं मानते थे शायद इसलिए ओम शांति ओम के कुछ दृश्यों से नाराज होकर शाहरूख खान के खान मुकदमा दर्ज कराया तो इमरजेंसी से नाराज होकर उन्होंने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी सरकार पर भी मुकदमा ठोका और मजे की बात जीत भी गए। आज जिस मनोज कुमार को दुनिया जाने माने फिल्म एक्टर के रूप में जानती है जब वो भारत आए थे तो स्थिति यह थी कि अस्पताल में भर्ती मां को इलाज ना मिलने से परेशान उन्होंने डॉक्टर को पीट दिया था। बड़े पर्दे पर देशभक्ति की अहम मिसाल मनोज कुमार के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कभी भी एक्टर्स को टच नहीं किया जो एक बड़ी बात कही जा सकती है। बताते हैं कि देश को जय जवान जय किसान का नारा देने वाले पीएम लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से उन्होंने उपकार फिल्म बनाई थी। जिसकी शूटिंग मोदीनगर मुरादनगर की नहर पर हुई थी। पुराने लोग बताते हैं कि फिल्म उपकार की शूटिंग के दौरान उनके द्वारा साईकिल चलाई गई थी तथा वो नान खताई हलवा पराठा बहुत पसंद करते थे। जाने माने फिल्म अभिनेता गिरीश थापर का कहना है कि 1998 में मनोज जी से उनकी मुलाकात हुई थी और चरण छूने का अवसर मिला था। तब उन्होंने आशीर्वाद दिया था कि अच्छे काम करो। मनोज कुमार के निधन पर पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित तमाम फिल्म अभिनेताओं, उभरते कलाकार, लेखक, प्रोडयूसर कबीर सिंह द्वारा भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। शोक की इस घड़ी में लोग मनोज कुमार के कार्यों और उनके फिल्मों से जुड़ी यादों के साथ ही जीवन जीए तो ऐसा जिए जिसमें आस तो हो कृष्ण की लीला और राम का वनवास हो जैसे डॉयलॉग भी याद किए जाएंगे। मेरा सीधे तो इस महान फिल्म अभिनेता से कोई मुलाकात तो नहीं रही लेकिन मेरठ के बंसल सिनेमा में आई पूरब और पश्चिम और मेनका सिनेमा में आई क्रांति फिल्म की कुछ यादें हमेशा मनोज कुमार की चर्चा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ

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