Friday, November 22

राजनीतिक प्रतिद्वंदता में छह लोगों की हत्या के दोषी को कोर्ट ने दी राहत, मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला

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नई दिल्ली, 12 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर 2003 में मुजफ्फरनगर जिले के बाबरी इलाके में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण अंधाधुंध गोलीबारी में छह लोगों की हत्या से जुड़े मामले में दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। शीर्ष अदालत ने शर्त लगाई कि उसे 20 साल तक रिहा नहीं किया जाएगा।

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने हाल के एक फैसले में सुदेश पाल की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने दोषी मदन की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया और उसे दिए गए मृत्युदंड को 20 साल की निश्चित अवधि के कारावास में बदल दिया। इसमें कारावास की वह अवधि भी शामिल होगी, जिसमें कोई छूट नहीं दी गई थी।

पीठ ने कहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आरोपी को मामले में मौत की सजा देना और दूसरे की सजा को आजीवन कारावास में बदलना उचित नहीं था जबकि दोनों की भूमिका समान थी। मदन के मामले में हाईकोर्ट ने नोट किया कि उसे एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पीठ ने कहा, यदि हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखा जाता है तो इससे विषम स्थिति पैदा हो जाएगी। बताते चले कि मदन की उम्र फिलहाल 64 साल है और वह 18 साल 3 महीने से जेल में है। अदालत ने पाया कि इस पूरी अवधि के दौरान उसने जेल में कोई अपराध नहीं किया था।

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