पूरा जीवन गुजर गया बड़ी उम्मीद थी कि जब सत्ता में आएंगे तो हमें भी सम्मान और काम मिलेगा। लेकिन लगता है कि उल्टी पेंसिल से किस्मत लिखवाकर आए हैं वरना अब धीरे धीरे लगभग पूर्ण रूप से सत्ता संभाले 15 साल होने को आ रहे हैं। लेकिन हम जैसों को कुछ मिलना तो दूर कोई पूछने वाला भी नजर नहीं आ रहा है। भाजपा और जनसंघ के समर्पित कार्यकर्ता रहे वो नेता जो निस्वार्थ भाव से हमेशा संगठन के कार्यक्रमों को घर घर तक पहुंचाने में लगे रहे। अब उनका दर्द छलक ही जाता है। क्योंकि कैडर का सही अर्थों में पालन पार्टी के पुराने वफादार ही करते हैं इसलिए वो कुछ बोल भी नहीं पाते। सरकार तथा बड़े जनप्रतिनिधि जिन्हें इस बारे में सोचना चाहिए वो ध्यान नहीं दे रहे हैं।
आज जब एक सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं में गिने जाने से दूर रहे सज्जन से बात हुई कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन में हर स्तर पर रददो बदल हो रही है। एक दो दिन में हर शहर में पार्टी के मंडल अध्यक्षों के खाली पदों पर नियुक्तियां होने वाली है। दस सदस्य नगर निगम में और विकास प्राधिकरणों में भी सदस्य लगता है इसी वर्ष में घोषित कर दिए जाएंगे। पर उक्त सज्जन बोले कि किसी को दिखाई देता तो अब तक तो हम कई बार कुछ पदों की शोभा बढ़ा चुके होते। परेशानी यह है कि एक तो अपने ही नेता जिन्हें हर बार वही पद चाहिए जिस पर है या उससे उपर । अगर थोड़ा बहुत बचता है तो दूसरे दल से आए नेताओं की दावेदारी उन पर हो जाती है। हम जैसे को तो ईमानदारी व पार्टी हित में काम करने का पाठ पढ़ाकर ही संतुष्ट कर दिया जाता है। वैसे भी अब आधी उम्र तो पार कर ही चुके हैं। जाएंगे भी तो कहां। यहां तो अभी जो नौजवान पार्टी हित में बहुत कुछ कर रहे हैं उन्हें ही कुछ नहीं मिल पा रहा है। बड़ी मायूसी के साथ इनका कहना था कि पद छोड़ भी दो तो पीएम मोदी जी ने केंद्र की सत्ता संभालते ही पार्टी नेताओं से सलाह कर एक संदेश दिया था कि पुराने कार्यकर्ता जनसंघ में रहे हो या भाजपा में उन सबको जिला महानगर और देहातों तक सम्मेलन कर उनका समान किया जाए। उनके घर जाकर उनकी समस्याओं को जाना जाए। लेकिन यहां तो नेताओं को अपने बारे में ही सोचने से फुरसत नहीं है। जिसे जो पद मिल रहा है। वो उसी से चिपकता जा रहा है। अब तो यही उम्मीद है कि भगवान कोई करिश्मा करेगा तो हमारी भी किस्मत चमक सकती है जब पार्टी एक प्रस्ताव पास कर दे कि हर व्यक्ति को एक दो बार सत्ता सुख भोगने का मौका मिलेगा। वरना हर बार पार्टी में विश्वास रखने वालों को आगे लाया जाए आगे। प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं से ही सभी पार्टी प्रमुखों से आम आदमी जो उनके साथ लगा है वो निराश और हताश ना हो इसके लिए जितनो को मौका मिल जाए आगे लाना चाहिए। सरकार चाहे केंद्र की हो या प्रदेश की उसके मंत्रालय और सरकारी विभाग में तमाम पद भरे पड़े हैं। यह हमेशा पार्टी नेता अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान देने के लिए तैनाती करते और कराते रहे हैं। जहां तक पता चलता है जिस पार्टी की सरकार है उसके साथ ही विपक्ष दल के सदस्य भी कमेटियों में समाहित किए जा सकते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री और बड़े नेताओं से आग्रह है कि कम से कम दीपावली और नए साल का उपहार समझ कर ही जिसका जितना कद उसी हिसाब से सरकारी कमेटियों में उन्हें पद देकर सम्मान दिए जाने में कोई बुराई नहीं लगती है। बस अपनों के बारे में थोड़ा सोचने की आवश्यकता है। हर जिले में कई सौ कार्यकर्ता पदों पर विराजमान होकर पार्टी का जनाधार तो बढ़ाएंगे ही लोकसभा चुनाव में तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जी जान एक कर देंगे। मुझे लगता है कि इस मामले में हर जनपद में सांसद राज्यसभा सदस्य विधायक एमएलसी और पार्टी पदाधिकारियों को सोचना और कार्यकर्ताओं को पद और सम्मान दिलाने का काम करना चाहिए। क्योकि चुनाव में चापलूस और मौकापरस्त नहीं ये वफादार कार्यकर्ता ही मतपेटियां पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में भरवाते है।
प्रधानमंत्री जी दीपावली और नए साल का तोहफा समझकर ही वफादार कार्यकर्ताओं की सरकारी कमेटियों में करवा दो नियुक्ति
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