मेरठ 17 अप्रैल (प्र)। चौधरी चरण सिंह कांवड़ पटरी मार्ग के दोहरीकरण प्रोजेक्ट को शासन ने हरी झंडी दे दी है। अब पटरी के अलाइनमेंट की दिशा को बदला गया है। गंगनहर के डोले से 7.5 मीटर जगह छोड़ने के बाद सड़क का निर्माण अब केवल दो मीटर की दूरी पर होगा। अलाइनमेंट बदलने के बाद शासन की वित्तीय व्यय समिति (ईएफसी) ने 665 करोड़ की पुनरीक्षित डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पर मोहर लगा दी है। डीपीआर कैबिनेट से स्वीकृति होने के बाद शासनादेश जारी होगा। शासनादेश जारी होने के बाद अधिकतम डेढ़ वर्ष में इस प्रोजेक्ट पर काम पूरा हो जाएगा।
मुजफ्फरनगर से मेरठ होते हुए मुरादनगर तक चौधरी चरण सिंह कांवड़ पटरी मार्ग की लंबाई 111.49 किमी है। कांवड़ नहर पटरी दोहरीकरण का 628 करोड़ का प्रोजेक्ट शासन ने अक्टूबर 2020 में स्वीकृत किया। समय बढ़ने के साथ ही इसकी लागत में भी वृद्धि होकर 701 करोड़ पहुंच गई। बाद में एनजीटी में मामला पहुंचने के बाद पेड़ कटान पर रोक लग गई। एनजीटी की सुनवाई से पहले ही 62 किमी में 17,446 पेड़ कट चुके थे, जो कुल 1.12 लाख कटने थे। लेकिन अब इसके आगे पेड़ कटान को रोक दिया गया है। अब जिस 62 किमी की सीमा में पेड़ काटे गए थे, वहां पौधारोपण होगा। वर्तमान में कांवड़ पटरी मार्ग की दायीं ओर (मुजफ्फरनगर से मुरादनगर की तरफ चलने पर) खड़ंजा बना हुआ है, जिसको समायोजित करते हुए सात मीटर की काली सड़क का निर्माण होगा। पेड़ कटान की संख्या कम होने पर प्रोजेक्ट की लागत भी 36 करोड़ घटकर 665 करोड़ आंकलित की गई है। इसी लागत पर शासन की वित्तीय व्यय समिति ने स्वीकृति प्रदान की है।
पेड़ कटान में भ्रष्टाचार का लगा था आरोप
सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने पिछले वर्ष जुलाई में विधानसभा में पेड़ कटान में अनियमितता बरतने व भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में 1,12,722 पेड़ों का कटान करने की अनुमति प्रदान की गई। 20 मीटर चौड़ाई में पेड़ों का कटान किया जाना था. लेकिन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार कर 35 से 40 मीटर तक पेड़ों का कटान कर दिया। विधायक ने जांच कराकर कार्रवाई की मांग की थी। यह मामला एनजीटी के सामने भी रखा गया। आठ अगस्त 2024 को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने चौधरी चरण सिंह कांवड़ पटरी मार्ग का स्थलीय निरीक्षण किया। एनजीटी में भी मामला पहुंचा। उसके बाद पेड़ कटान पर रोक लग गई।
एफडीआर तकनीक से बनेगी पटरी
गंगनहर पटरी के निर्माण में एफडीआर ( फुल डेप्थ रिफ्लेक्शन) तकनीक का उपयोग किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने बताया कि यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पुरानी सड़क की सामग्री को रिसाइकल कर सीमेंट व अन्य रसायनिक एडिटिव्स के साथ मिलाकर एक मजबूत व टिकाऊ आधार तैयार किया जाता है। इससे लागत में कमी व समय की बचत के साथ मजबूती व पर्यावरण के अनुकूल होगा।
यह मिलेगा लाभ
कांवड़ नहर पटरी मार्ग के दोहरीकरण से एक वैकल्पिक मार्ग भी तैयार हो जाएगा। जिससे आसानी से वाहन मुरादनगर से मेरठ मुजफ्फरनगर सीमा में होते हुए सीधे नहर की पटरी से होते हुए उत्तराखंड पहुंच सकेंगे। पटरी का दोहरीकरण होने से दुर्घटनाओं में कमी आएगी। कांवड़ यात्रा में बंद होने वाले दिल्ली देहरादून हाईवे पर भी अधिक असर नहीं पड़ेगा। डाक कांवड़ पटरी से गुजर जाएगी ।
एक नजर में कांवड़ पटरी
नाम : चौधरी चरण सिंह कांवड़ गंगनहर पटरी मार्ग
लागत : 701 करोड़ से घटकर 665 करोड़ (डीपीआर रिवाइज्ड होने के बाद )
लंबाई: 111.49 किमी ( मुरादनगर से मेरठ होते हुए मुजफ्फरनगर तक तीनों जिलों में)
डबल लेन सड़क की चौड़ाई: सात मीटर
शासन से स्वीकृत : अक्टूबर 2020