Saturday, May 31

5 बार हुई नसबंदी, फिर भी ढाई साल में 25 बार प्रेग्नेंट हो गई महिला, आगरा में कोख का धंधा

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आगरा 09 अप्रैल। उत्तर प्रदेश से आगरा में एक महिला की पांच बार नसबंदी करवाई गई. फिर भी ढाई साल में वो 25 बार प्रेग्नेंट हुई. सुनने में यह अजीब लग रहा है ना? ऐसा एक मामला उत्तर प्रदेश के आगरा से सामने आया है. लेकिन जब इसकी असलियत सामने आई तो हर कोई सन्न रह गया. वहीं ऑडिट में कोख से कमाई का खेल पकड़ने जाने पर आगरा सीएमओ ने जांच के लिए नो​डल अधिकारी बनाए हैं.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के लाभार्थियों के भुगतान में किए गए घोटाले की जांच के लिए एनएचएम की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल मंगलवार शाम आगरा पहुंचीं. जो बुधवार और गुरुवार को आगरा में रहकर सीएचसी और अन्य संस्थानों का निरीक्षण करके जांच रिपोर्ट तैयार करेंगी.

इसके साथ ही आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्वत ने फतेहाबाद सीएचसी पर 32 वर्षीय कृष्णा कुमारी के बयान दर्ज किए. कृष्णा कुमारी की कागजों में ढाई साल में 25 बार डिलीवरी और पांच बार नसबंदी कराना दिखाकर सीएचसी के डॉक्टर्स, कर्मचारी, आशा और एक अन्य व्यक्ति ने 45 हजार रुपए का भुगतान हड़पा है.

जबकि, हकीकत में कृष्णा कुमारी 8 साल से मां ही नहीं बनी हैं. ऐसी ही अन्य महिलाएं हैं, जिनके साथ कागजों में खेल किया गया है. इन महिलाओं की फर्जी तरीके से गोद भराई और नसबंदी कराकर 8.75 लाख रुपये का खेल किया गया है.

कृष्णा कुमारी ने बताया कि मेरा गांव नगला कदम है. पति छोटू गुरुग्राम में नौकरी करते हैं. मैं उनके पास ही रहती हूं. मेरी पहली डिलीवरी 2014 में उप स्वास्थ्य केंद्र डौकी में हुई थी. तीन वर्ष बाद 2017 में दूसरी डिलीवरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहाबाद में हुई थी. दोनों बार मैंने बेटों को जन्म दिया. 2017 की दूसरी डिलेवरी के बाद मैंने नसबंदी करा ली. इसके बाद मेरे कोई बच्चा नहीं हुआ.
मेरे रिश्तेदार अशोक ने पेंशन दिलाने की कहकर कागजों पर हस्ताक्षर कराए और बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया था. बैंक खाते में मेरा मोबाइल नंबर नहीं है. जिसकी वजह से मेरे पास कभी बैंक से कोई मैसेज भी नहीं आया.

बताते चले कि राज्य सरकार की ओर से दो प्रमुख योजनाएं चलाई जाती हैं. जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी प्रोत्साहन योजना. इन योजनाओं के तहत जननी सुरक्षा योजना में प्रसव के बाद महिला को ₹1400 और प्रेरणा देने वाली आशा कार्यकर्ता को ₹600 दिए जाते हैं. नसबंदी के बाद महिला को ₹2000, और आशा को ₹300 मिलते हैं. यह पूरी राशि महिला के खाते में सीधे 48 घंटे के भीतर ट्रांसफर कर दी जाती है. इन दोनों योजनाओं की आड़ में ही यह बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया. एक महिला को बार-बार डिलीवरी के नाम पर दिखाया गया, फिर बार-बार नसबंदी कराई गई, और हर बार सरकारी धन का भुगतान कर दिया गया. इस तरह करीब 45,000 रुपये की सरकारी धनराशि का गबन कर लिया गया.

बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के लिए आगरा जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 में किए गए भुगतान का ऑडिट कराया गया. जिसमें करीब नौ लाख रुपये का संदिग्ध भुगतान पकड़ में आया.

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एक विशेष जांच समिति गठित करने की घोषणा की है. इस कमेटी को यह पता लगाना है कि आखिर यह गलती तकनीकी है या फिर कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ एक योजनाबद्ध घोटाला. यदि कर्मचारी दोषी पाए गए तो कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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