मेरठ 05 जुलाई (प्र)। चिरौड़ी गांव में बृहस्पति को दो जिंदगियां गुरबत की भेंट चढ़ गई। बेटी का 11वीं में दाखिला नहीं करा पाने पर बेबस पिता ने मौत का रास्ता चुन लिया। उसने बेटी को सल्फास खिलाया। इसके बाद खुद भी जहर निगल लिया। हालत बिगड़ने पर बाप-बेटी को मोदीपुरम स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दोनों ने दम तोड़ दिया। इस हृदयविदारक घटना से क्षेत्र में मातम पसर गया।
चिरौड़ी गांव निवासी जोगेंद्र प्रजापति (50) अपनी पत्नी लता के साथ भट्ठे पर मजदूरी करके परिवार पाल रहा था। जोगेंद्र के तीन बेटी खुशी (16), शीतल (13), शिवानी (10), बेटे शिवम (8) व रजत (5) हैं। बेटी खुशी ने गांव के सरस्वती शिक्षा निकेतन से 10वीं पास की थी। बताया जाता है कि खुशी अब 11वीं में दाखिला लेना चाहती थी, लेकिन पिता आर्थिक तंगी के चलते बेबस था। बृहस्पतिवार को जोगेंद्र और उसकी पत्नी लता के साथ मजदूरी करने चले गए। दोपहर में जोगेंद्र घर पर खाना खाने आया था। दूसरे बच्चे बाहर खेल रहे थे। घर पर खुशी ही थी। लोगों के मुताबिक, जोगेंद्र ने खुशी को जहर देकर खुद भी खा लिया। दोनों की हालत बिगड़ने लगी। इस दौरान पत्नी लता घर पहुंची तो जहर खाने की जानकारी हुई। लता के शोर मचाने पर लोग एकत्र हो गए। बाप-बेटी को मोदीपुरम के अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पर उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई। सूचना पर सीओ दौराला शुचिता सिंह और थाना प्रभारी पहुंच गए।
सिर से उठा पिता का साया, कैसे होगी परवरिश
जोगेंद्र की मौत के बाद चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब बच्चों की पूरी जिम्मेदारी लता के कंधों पर आ गई है। लता बदहवास है महिलाएं किसी तरह उसे दिलासा देती रही। रोते हुए लता ने कहा कि अब वह अकेले चार बच्चों को कैसे पालेगी। वहाँ, जोगेंद्र और खुशी के जहरीला पदार्थ खाने की सूचना पर प्रधान नरेशपाल भी अस्पताल पहुंचे। कहा कि वह और ग्रामीण परिवार के साथ हैं। परिवार की हर संभव मदद की जाएगी।
बने हुए थे राशन कार्ड व आयुष्मान कार्ड
मृतक जोगेंद्र का व परिवार के सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बना हुआ है। प्रधान नरेशपाल ने बताया कि जोगेंद्र का एपीएल का राशन कार्ड बना हुआ था यूनिट के हिसाब से उसे राशन मिल रहा था।