लगता है नगर निगम के अधिकारियों ने आम आदमी की देशभक्ति की भावनाओं से खिलवाड़ करने और महापुरूषों के साथ ही देशभक्तों का अपमान करने का रिकॉर्ड बनाने की सोची है।
पूर्व में महापौर हरिकांत अहलूवालिया के शपथ ग्रहण समारोह में सांसद राजेंद्र अग्रवाल और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी व प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में वंदे मातरम गलत रूप से गाया गया। इसके बाद होली के बाद स्वतंत्रता सेनानी पंडित गौरीशंकर के स्मारक के सौंदर्यकरण के लिए जो नामपट लगाया गया उस पर स्वतंत्रता सेनानी का नाम ही गलत लिख दिया गया और अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दो अक्टूबर को कमिश्नरी चौराहे पर लगाई गई प्रतिमा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। कबाड़ से जुगाड़ कर बनाई गई महात्मा गांधी की प्रतिमा को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू हुई तो कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सीएम को टवीट कर लिखा कि बापू के चेहरे और चरित्र के आगे दुनिया नतमस्तक है लेकिन मेरठ में उनकी प्रतिमा को इस रूप में दिखाकर कुंठा का प्रदर्शन किया गया है। बताते चलें कि सवा लाख रूपये की लागत से 15 दिन में बनी इस प्रतिमा को महात्मा गांधी की जयंती पर लगाया गया था। तब से ही इसको बनाने में भ्रष्टाचार और तरीके को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी लेकिन नगर निगम के अधिकारी नहीं चेते। अब जब उक्त प्रतिमा हटवाई गई तो इस भददे मजाक के बाद भी नगर निगम के अधिकारी कूड़ा ढोने वाली गाड़ी में रखकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की की प्रतिमा को ले गए। बताते चलें कि नगर निगम के अधिकारी अपनी असफलता को छिपाने और प्रदेश स्तर पर नाम कमाने के लिए अब तक जितने भी प्रयोग किए गए उनमें फजीहत के सिवाय इनके हाथ कुछ नहीं लगा।
अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है कि प्रतिमा को प्रयोग के लिए लगाया गया था ताकि शहर की जनता के सुझाव प्राप्त हो शायद। इस पर नागरिकों का कहना है कि महापुरूषों की छवि खराब करने और जनभावनाओं से खिलवाड़ बंद कीजिए। अगर आप आजादी के इतने सालों बाद भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कैसे दिखते हैं यह नहीं जानते तो आपको नौकरी से इस्तीफा दे देना चाहिए और अगर जानते थे तो उक्त प्रतिमा क्यों लगवाई गई फिर जिस महान शख्सियत के प्रति राजनीतिक विचारधारा से दूर सत्ता और विपक्ष के सभी नेता पूरी तौर पर नतमस्तक है उस महान पुरूष की प्रतिमा कूड़े के जुगाड़ से बनाकर क्यों लगाई गई और जिसका यह सुझाव था उसके विरूद्ध भी होनी चाहिए कार्रवाई। यह मामला शासन के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी बताया जाता है। मेरा मानना है कि इसके लिए नगरायुक्त से जवाब तलब होना चाहिए क्योंकि नगर निगम के मुखिया वहीं और उन्हीं की उपस्थिति में वंदेमातरम का गलत गायन हुआ था और उन्हीं के रहते पंडित गौरीशंकर का नाम गलत लिखा गया और उन्हीं की जानकारी में यह लोगों की भावनाओं को आहत करने वाली प्रतिमा बनी और इसे कूड़ा गाड़ी में ले जाया गया जिसे इसे किसी भी रूप में महापुरूषों का सम्मान नहीं कह सकते। जनता के इस मत कि महापुरूषों के सम्मान से खिलवाड़ और वंदे मातरम के गलत गायन के लिए सभी दोषी अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए मैं भी सहमत हूं क्योंकि पद के मद में किसी को भी यह अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि वो हमारे महापुरूषों का किसी भी रूप में अपमान करें।
राष्ट्रपिता स्टैच्यू प्रकरण: नगर निगम के दोषी अधिकारी किए जाएं सस्पेंड, नगरायुक्त से जवाब तलब हो
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