मेरठ 20 सितंबर (प्र)। अंधाधुंध हो रहे पेड़ों के कटान और इसकी वजह से बिगड़ रहे पर्यावरण संतुलन को दुरुस्त करने की दिशा में नगर निगम ने कदम बढ़ाया है। पारंपरिक दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की खपत को कम करने के लिए नगर निगम महानगर के सूरजकुंड और रिठानी श्मशान घाट में हरित शवदाह गृह (ग्रीन क्रिमिटोरियम) बनाया जाएगा। यहां कान्हा उपवन में तैयार गो काष्ठ से दाह संस्कार किया जाएगा। निगम के अधिकारियों का मानना है कि इस नयी व्यवस्था से अस्सी फीसदी से ज्यादा लकड़ी की खपत कम हो जाएगी। पेड़ों का कटान भी नयी विधि से रुकेगा।
हरित शवदाह गृह एक नयी तरह की तकनीक है। इसका प्रयोग हाल ही में शुरू किया गया है और काफी उपयोगी साबित हो रही है। पहली बार लखनऊ में इस विधि का इस्तेमाल कर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। लखनऊ के शानदार परिणामों को देखते हुए ही तकनीक को प्रदेश के सभी नगर निकायों में लागू किया जा रहा है। महानगर में भी तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला हुआ है। योजना के तहत नगर निगम सूरजकुंड और रिठानी में ग्रीन क्रिमिटोरियम का निर्माण करने जा रहा है।
निगम इन दोनों ही शवदाह गृहों पर अंतिम संस्कार के लिए दो-दो मशीनें लगाएगा। यह मशीन एक भट्टी की तरह की होती है। यह चारों ओर से मोटी चादर से ढकी होती है। इस पर ग्रिल के साथ एक प्लेटफार्म होता है। उसी पर लकड़ी व गो काष्ठ लगाई जाती है। उसके ऊपर शव रखा जाता है। सबसे नीचे प्लेट से राख एकत्र होगी। आग लगने के बाद शव को ढक दिया जाएगा। आग में तेजी लाने के लिए जैसे चूल्हे में फूकनी से हवा देकर आग तेज की जाती है, वैसे ही मशीन पर शव रखकर पंप के जरिए हवा दी जाएगी। जिससे लकड़ी व गो काष्ठ तेजी से जलेगी। मोटी चादर होने के कारण ऊर्जा बाहर नहीं निकलेगी। इससे कम लकड़ी और गो-काष्ठ से अधिक ऊर्जा पैदाकर शव का दाह संस्कार हो जाएगा। इस विधि से अंतिम संस्कार एक घंटे में हो जाएगा। अभी दाह संस्कार में काफी समय लगता है। एक मशीन से छह से सात शवों का अंतिम संस्कार हो सकेगा।
इस विधि से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में मात्र पंद्रह फीसदी ही लकड़ी का इस्तेमाल होगा। 85 फीसदी गो-काष्ठ का इस्तेमाल होगा। अभी तक दाह संस्कार में चार क्विंटल तक लग जाती है। पर ग्रीन क्रिमिटोरियम में 50 किलो लकड़ी और डेढ़ से दो कुंतल गो काठ में दाह संस्कार हो जाएगा। यानि प्रति शव दाह संस्कार में ढाई से तीन कुंतल लकड़ी का उपयोग कम होगा। वैसे भी यह प्रक्रिया डिकाबोर्नीजेशन फिल्ट्रेशन टेक्नोलाजी आधारित है। प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस युक्त संयंत्र होगा। इससे कार्बन उत्सर्जन बहुत कम होगा। जो थोड़ा बहुत धुआं होगा उसे बाहर निकालने के लिए ऊंची चिमनी लगाई जाएगी।
कान्हा उपवन में लगेगी मशीन
हरित शव दाह गृह के लिए गो-काष्ठ उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम कान्हा उपवन में इसे बनाने की मशीन लगवाएगा। कान्हा उपवन में 2500 से अधिक गोवंशी हैं जिनसे प्रतिदिन लगभग 20 टन गोबर मिलने का अनुमान है। इतने गोबर का रोजाना निस्तारण हो सकेगा।
हरित शवदाह गृह के लिए शासन को भेजा प्रस्ताव
नगर निगम के मुख्य अभियंता प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि 4.68 करोड़ से सूरजकुंड और 2.73 करोड़ से रिठानी के श्मशान घाट में ग्रीन क्रिमिटोरियम बनाया जाएगा। इसमें मशीनों की लागत भी जुड़ी है। जिस कंपनी को संचालन के लिए दिया जाएगा, उसी को पांच साल तक मेंटीनेंस की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। वहां से डीपीआर फाइनल होते ही टेंडर कर कार्य शुरू किया जाएगा।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने कहा कि शहर में दो ग्रीन क्रिमिटोरियम बनाए जाएंगे। इससे लकड़ी की खपत कम होगी और पर्यावरण का संरक्षण होगा। इसमें गो-काष्ठ का उपयोग बढ़ेगा। शासन से अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जायेगा।
