नई दिल्ली 12 अगस्त। CBSE ने 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए Legal Studies के सिलेबस में एक महत्वपूर्ण बदलाव करने का फैसला किया है। अब छात्र पुराने कानूनों जैसे राजद्रोह, धारा 377 और तीन तलाक के बजाय देश के नए कानूनी ढांचे और हालिया बदलावों के बारे में पढ़ेंगे।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) 11वीं और 12वीं कक्षा के लीगल स्टडीज सिलेबस में तीन तलाक को हटाने, भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू करने, राजद्रोह और समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को हटाने जैसे विषयों को शामिल करने जा रहा है. इस फैसले के तहत, जिसे सीबीएसई की पाठ्यक्रम समिति और जून में शासी निकाय ने मंजूरी दी है, अब सीनियर सेकेंडरी के छात्र औपनिवेशिक दौर के पुराने कानूनों की जगह बने नए कानूनों और भारत के कानूनी ढांचे को बदलने वाले अहम फैसलों व सिद्धांतों को पढ़ेंगे.
आधिकारिक रिकॉर्ड में कहा गया है, “सीबीएसई कानूनी अध्ययन की पाठ्यपुस्तकों को संशोधित और अद्यतन करने का प्रस्ताव करता है ताकि उनमें निम्नलिखित बातें शामिल हों: बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए के प्रमुख प्रावधान; ऐतिहासिक कानूनी निर्णय और हालिया कानूनी सिद्धांत; निरस्त या पुराने कानून (जैसे, राजद्रोह, धारा 377, ट्रिपल तलाक); एनईपी 2020 के साथ संरेखित एक आधुनिक, आकर्षक शिक्षाशास्त्र.”
यह अपडेट 2023-24 में लागू किए गए कानूनी सुधारों के मद्देनजर आया है, जब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली थी.
सीबीएसई ने कब शुरू किया था लाॅ विषय?
सीबीएसई द्वारा पहली बार 2013 में 11वीं और 2014 में 12वीं में लाॅ विषय की पढ़ाई शुरू की गई थी. विधि अध्ययन एक विशिष्ट वैकल्पिक विषय से विकसित होकर कानून, लोक नीति या शासन में करियर बनाने वाले छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है. अप्रैल 2024 में शिक्षा निदेशालय ने 29 अतिरिक्त स्कूलों में इसे लागू करने की मंजूरी दे दी और प्रधानाचार्यों से सीबीएसई द्वारा मांगी गई सभी औपचारिकताएं पूरी करने का आग्रह किया.
कब तक लागू होगा नया सिलेबस?
सीबीएसई के अधिकारियों के मुताबिक यह नया सिलेबस तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी। ज़रूरत पड़ने पर एक कंटेंट डेवलपमेंट एजेंसी की भी मदद ली जाएगी। उम्मीद है कि ये नई किताबें 2026-27 के शैक्षणिक सत्र तक तैयार होकर छात्रों के लिए उपलब्ध हो जाएंगी। यह बदलाव छात्रों को देश के बदलते कानूनी माहौल को समझने में मदद करेगा।