दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ 04 जून (प्र)। अपने देश के गांवों में प्रचलित कहावत दुल्हन वहीं जो पिया मन भाये आजकल मेडा और आवास विकास के अवैध निर्माण से संबंध अधिकारियों पर बिल्कुल सही उतर रही है। क्योंकि एक तरफ तो यह छोटे छोटे घर भूउपयोग परिवर्तित बताकर तोड़ रहे है तो दूसरी ओर बड़े बड़े भव्य काम्पलैक्स को पूरी तौर पर अवैध रूप से का नक्शा पास बताकर उनसे संबंधित शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर रहे है। क्योंकि इन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई मजबूती से नहीं होती और जनता भी इनके विरूद्ध जिस तरह से आवाज उठानी चाहिए वो नहीं उठा रही है। इसलिए सरकारी जमीन पता होने के बाद भी घिरवाने भूउपयोग बदल लेने और अवैध निर्माण होने की जानकारी होने के बाद भी इन अफसरों द्वारा पूरी तौर पर इस प्रकार के निर्माणों से नजर हटा ली जाती है और जब कोई कार्रवाई होती है तो अपने आप को पाक साफ बताकर नागरिकों को बदनाम करने निर्माण तोड़ने और आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है।
आजकल भूउपयोग परिवर्तित करने की बात कहकर आवास विकास क्षेत्र में बड़ी तादाद में संपत्तियों का आवंटन निरस्त किया जा रहा है और अब उन्हें कब्जा लेने की बात कर बेघरवार करने की कोशिश भी हो रही है। इसके लिए बताते है कि पीपी एक्ट के तहत कार्रवाई किये जाने के अतिरिक्त कोर्ट में जाने की तैयारी भी विभागीय अफसर कर रहे बताते है। अगर बिना अनुमति भूउपयोग परिवर्तित कर व्यवस्था में गतिरोध उत्पन्न कर रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के बारे में तो मुझे कुछ नहीं कहना। लेकिन शासन के नियम और नीति के अनुसार आवंटियों को संपत्तियों से अलग करना किसी भी रूप में सही नहीं है। मेरा तो मानना है कि जिन अवैध निर्माणों को तोड़ने की बात हो रही है पहले उनसे संबंधित रहे आवास विकास के अफसरों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भिजवाया जाए क्योंकि उनके बिना मर्जी के सेन्ट्रल मार्किट आदि के निर्माण नहीं हो सकते थे। बताते है कि सैकड़ों संपत्तियों का आवंटन निरस्त करने और कब्जा लेने की बात चर्चाओं में है। मगर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले पूर्व और वर्तमान अफसरों के विरूद्ध भी हो कार्रवाई। क्योंकि अभी भी आवास विकास के क्षेत्र में घरेलू संपत्ति पर दुकानें अवैध रूप से बनाये जाने का काम ढके छिपे रूप में होना बताया जा रहा है।
बताते चले कि मंगलपांड़े नगर में अलखपांड़े के शुरू हुए इस्टीट्यूट का निर्माण हुआ उसे आवास विकास के अधिकारी मानचित्र पास बताकर बचाने की कोशिश और शिकायत का फर्जी निस्तारण कर रहे है। वर्तमान समय में दो समय की रोटी जुटा पाना खासकर व्यापारी के लिए बहुत मुश्किल है ऐसे में उनका किसी भी प्रकार का उत्पीड़न नहीं कह सकते। माननीय मुख्यमंत्री जी दोषी अफसरों को सजा दिलाने की कार्रवाई और वो कोर्ट में गलत तथ्य पेश कर मामले को रोकने की कोशिश न करे इसके लिए ध्यान देते हुए उनके विरूद्ध हो कार्रवाई तथा व्यापारियों के नियमविरूद्ध काम पर सरकार जो चाहे करे लेकिन आवंटन निरस्त करना और फिर कब्जा लेने की कार्रवाई कर उनका मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न आवास विकास द्वारा कराया जाना किसी भी रूप में ठीक नहीं है।