Wednesday, November 12

माननीय मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! मेडा के अधिकारी जन सुनवाई पोर्टल पर अवैध निर्माण कच्ची कालोनियों की आई शिकायतों का फर्जी निस्तारण करने और दोषियों को बचाने वालों पर करें कार्रवाई, होटल वन फारर जैसे अवैध निर्माण को

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मेरठ 10 नवंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। मेडा के उपाध्यक्ष संजय कुमार मीणा अवैध निर्माण रोकने और करने व कराने वालों के विरूद्ध कार्रवाई के प्रयास करने के दावे खूब कर रहे है लेकिन इनके अवैध निर्माण रोकने से संबंध कुछ जोन प्रभारी एई और जेई माननीय मुख्यमंत्री जी के पोर्टल पर इस संदर्भ में होने वाली शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर सरकार की निर्माण नीति के विपरित बड़े बड़े शोरूम और काम्पलैक्स तथा रजवाहों की जमीन काटकर दबाकर होटल बनाने वालों को बचाने के लिए झूठ बोलने और फर्जी निस्तारण करने की सारी सीमाएं अब तो लांघ चुके है।
माननीय मुख्यमंत्री जी पूर्व में कुछ लोगों ने मंडलायुक्त जी के यहां भी लिखित शिकायत की थी उसके बावजूद भी इस काम में संलग्न अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना हो पाने के चलते अवैध निर्माणों को बचाने के मामले में संबंधित अफसरों का दुश्साहस बढ़ता ही जा रहा है। सीएम साहब वैसे तो जैसा की नागरिकों का कहना है और चर्चा सुनने को मिलती है उसके हिसाब से अगर जांच कराई जाए तो माननीय मुख्यमंत्री जी के जन शिकायत पोर्टल पर पिछले पांच साल में जितनी शिकायत कच्ची कालोनियों अवैध घरेलु भूमि पर बने अवैध कर्मशियल काम्पलैक्स की शिकायतों के निस्तारण की पुनः समीक्षा कराकर यह स्थिति स्पष्ट हो सकती है कि मेडा से संबधित लोग माननीय मुख्यमंत्री जी की भावनाओं के तहत सरकारी भूमि घेरने कच्ची कालोनी विकसित करने और रिहायशी भूमि पर कर्मशियल काम्पलैक्स बनाने आदि के संदर्भ में हुई शिकायतों की समीक्षा कराकर पता कर सकते है।
माननीय मुख्यमंत्री जी इसके जीते जागते उदाहरण के रूप में मोदीपुरम से परतापुर के बीच हाईवे के किनारे अवैध रूप से रजवाहे को पाटकर अवैध रूप से भूउपयोग का उल्लंघन कर होटल वन फारर एवं हापुड़ अड्डे से तेजगढ़ी चौराहे के बीच मुख्य सड़क पर सरकारी निर्माण नीति के विपरित सभी नियमों का उल्लंघन कर रिहायशी भूमि पर बनाये गये पीएस आर्केड बिल्डिंग में हल्दी राम शोरूम को देखा जा सकता है जहां ना तो वाहन खड़े करने के लिए जगह छोड़ी गई है और न ही हवा पानी। जब इसकी शिकायत हुई तो बताया गया कि नक्शा पास है तब पुनः जांच हुई तो मेडा के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि एक दुकान का नक्शा पास है लेकिन किसी भी समय नागरिकों के लिए जान का बवाल बनने वाले इस तिमंजिले शोरूम और इसके संचालक के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई आखिर क्यों। जबकि एक भाजपा के बड़े लीडर द्वारा इसकी लिखित शिकायत की गई तो मंडलायुक्त के यहां भी इन दोनों निर्माणों की लिखित शिकायत हो चुकी है। मगर अफसर खामोश है और शिकायतों का फर्जी निस्तारण करने में लगे है। माननीय मुख्यमंत्री जी शासन और जनहित में इन दोनों निर्माणों और पिछले पांच साल में आपके जनशिकायत पोर्टल पर आई शिकायतों के विरूद्ध जांच कराने और दोषियो के विरूद्ध कार्रवाई करने के साथ ही भविष्य में भी जनशिकायत पोर्टल पर आई शिकायतों की जांच करने वाले अधिकारी से शपथ पत्र लिया जाए और अगर मानचित्र पास था तो क्या क्या और कितनी जगह पर क्या निर्माण उसके अनुसार हुआ और नहीं हुआ तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। और विभिन्न बहानों से अवैध निर्माणकर्ता को बचाने की कौशिश क्यों की जा रही है तथा मेट से जांच कराकर जो रिपोर्ट प्रभारी द्वारा भेजी जाती है उन पर रोक लगे और यह सुनिश्चित हो कि जोन प्रभारी खुद पोर्टल पर आई शिकायतों का निस्तारण मौके पर जांच कराकर ही भेजे तथा नोटिस भेजने और जबाव मांगने के नाम पर कई कई साल से अवैध निर्मार्णों को बचाया जा रहा है उस पर रोक लगनी चाहिए। और अगर शिकायतकर्ता मेडा अधिकारी की जांच से संतुष्ट नहीं है तो जिलाधिकारी के माध्यम से किसी प्रशासनिक अधिकारी को मौके पर भेजकर जांच कराकर ही कराने की व्यवस्था सुनिश्चित हो तो अवैध निर्माण और सरकारी भूमि भेजकर जो कच्ची कालोनियां व काम्पलैक्स बन रहे है अवैध रूप से उन्हें रोका जाए।

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